यह है मामला वर्ष 2018 में डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने एक परियोजना के विकास के लिए राशि आवंटित की थी। शर्तों के अनुसार यह धनराशि केवल परियोजना के लिए ही उपयोग हो सकती थी और इसका इस्तेमाल निजी हित या कर्ज चुकाने के लिए नहीं किया जा सकता था। आरोप है कि डीएमआई फाइनेंस और स्टेलर समूह की कंपनियों ने इस राशि का उपयोग निजी कर्जों को चुकाने में किया। आरोप है कि रुपए डीएमआई ग्रुप ने एक कंपनी को जारी किए। फिर उस कंपनी से दूसरी कंपनी को ट्रांसफर किया और फिर इन पैसों का इस्तेमाल डीएमआई ग्रुप का लोन चुकाने में किया गया। साथ ही डीएमआई और स्टेलर ग्रुप ने धोखाधड़ी के लिए फर्जी दस्तावेजों बनवाकर उनका इस्तेमाल किया।
बाद में अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने अनियमितता का पता लगने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। वहीं अदालत ने मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच के दौरान पाया गया कि धन का उपयोग परियोजना के विकास के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था। यह समझौते का उल्लंघन है। साथ ही धोखाधड़ी भी है। हाईकोर्ट ने मामले में डीएमआई फाइनेंस के खिलाफ आरोपों पर स्टे लगा रखा है। हालांकि स्टेलर समूह की कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। जांच एजेंसियों ने चार्जशीट में विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है, जिसमें स्टेलर समूह की कंपनियों की ओर से धन के गलत उपयोग के आरोप हैं।