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विधार्थियों की परीक्षा से पहले ‘एक और परीक्षा’

locationबस्सीPublished: Mar 16, 2019 11:44:20 pm

Submitted by:

vinod sharma

सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से सटे होने से नहीं हुआ डामरीकरण : डामर सड़क के अभाव में नहीं है साधन

Student lacks the road

विधार्थियों की परीक्षा से पहले ‘एक और परीक्षा’

आंधी (जयपुर). जमवारामगढ़ की ग्राम पंचायत नीमला के गांव डगोता, बस्सी, काली बिरकडी, खानियां सहित करीब आधा दर्जन गांवों से सैकण्डरी व 8वीं बोर्ड परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों को मूल परीक्षा साथ-साथ आवागमन साधनों की पूर्ण कमी के चलते परीक्षा से पूर्व एक ओर कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है।
मानसिक तौर पर परेशानी
मूल परीक्षा से पूर्व हो रही इस परीक्षा से विधार्थियों को मानसिक तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योकि सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से सटे होने के कारण इन गांवों को ग्राम पंचायत मुख्यालय से जोडऩे के लिए अभी तक डामर सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। जिसके चलते गांवों में आवागमन साधनों का पूर्ण अभाव है।
परीक्षा देने पैदल ही जाते हैं
शैक्षिक सत्र 2018-19 में आयोजित हो रही बोर्ड परीक्षा में रामावि डगोता व राउप्रा विद्यालय, बस्सी में पढऩे वाले 39 बच्चे 10वीं तथा करीब 40 बच्चे 8वीं बोर्ड परीक्षा देने नीमला जाते हैं। इसी तरह इन गांवों में उच्च शिक्षा की कोई सुविधा नहीं होने से करीब डेढ़ दर्जन छात्र-छात्राएं नीमला के ही विधालय में पढ़ते है। जो भी परीक्षा देने पैदल ही जाते हैं।
बच्चों में थकान
आवागमन के साधन नहीं होने से परीक्षा देने जाने वाले बच्चों को करीब 7 किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता है। पैदल चलने बच्चों में थकान हो जाती है जिससे परीक्षा हाल में वे मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ नहीं रहने से परीक्षा परिणाम प्रभावित होता है।
दूरी 6 से 7 किलोमीटर
ग्राम पंचायत नीमला अधीन गांव डगोता, खानियां, काली बिरकडी, नैनचा पटेल की ढाणी, बस्सी सहित करीब 9 गांव-ढाणियों के बच्चे बस्सी की राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय और डगोता की राजकीय माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का बोर्ड परीक्षा सेन्टर ग्राम पंचायत नीमला मुख्यालय स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय है। इन गांवों की मुख्यालय से औसत दूरी 6 से 7 किलोमीटर पड़ती है।
घर से जल्दी निकलना पड़ता है
डगोता की रामा विधालय के एसएमसी उपाध्यक्ष कमलेश शर्मा सहित अभिभावकों नें बताया कि मांडा योजना का विशेष भौगोलिक स्थिति वाला पहाड़ी गांव होने के बाद भी गांव में परीक्षा केन्द्र शुरू नहीं किया जिसके कारण बच्चों को 7 किमी दूर पहाड़ी रास्ते से पैदल जाकर परीक्षा देनी पड़ रही है। सुबह होने वाली परीक्षाओं को लेकर बच्चों को घर से जल्दी निकलना पड़ता है। इसी तरह 8वीं बोर्ड की परीक्षाएं शाम की पारी में होने से परीक्षा के बाद बच्चों को घर पहुंचने में भी देरी होती है। पहाड़ी रास्तों से आने-जाने के कारण यहां पर वन्य जीवों के हमले का भी डर बना रहता है।
कई बार लगाई गुहार
इन गांवों को ग्राम पंचायत मुख्यालय से जोडऩे के लिए डामर सड़क का निर्माण कराने तथा आवागमन साधनों का संचालन शुरू करने की मांग जनप्रतिनिधियों की ओर से प्रशासन, विधायक व सांसद से कई बार करने के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों के साथ युवा भुगत रहे है।
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