scriptमां के 51 में से 41वां है यह अद्भूत शक्तिपीठ | This amazing Shaktipeeth is 41st out of 51 from mother | Patrika News

मां के 51 में से 41वां है यह अद्भूत शक्तिपीठ

locationबस्सीPublished: Oct 23, 2020 07:22:36 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

पापडी की पहाडिय़ों में स्थित मनसा माता का मंदिर क्षेत्र में लोगों की आगाध श्रद्धा का केन्द्र है मनसा माता मंदिर

मां के 51 में से 41वां है यह अद्भूत शक्तिपीठ

मां के 51 में से 41वां है यह अद्भूत शक्तिपीठ

विराटनगर। कस्बे के निकट पापडी की पहाडिय़ों में स्थित मनसा माता का मंदिर क्षेत्र में लोगों की आगाध श्रद्धा का केन्द्र है। यह माता के 51 शक्ति पीठों में से 41 वां शक्ति पीठ है। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली माता के रूप में विशेष पहचान ओर मान्यता है।
नवरात्रों में यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहता है । दिन रात भजनों की बयार बहती है। जयपुर, अलवर, दिल्ली, कोलकाता, गुजरात, पंजाब सहित दर्जनों प्रदेश के लोग यहां आते है।
यह है किंवदती…
इतिहासकारों के अनुसार राजा प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में माता जगंदबिका ने सती के रूप में जन्म लिया था। सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। राजा दक्ष इस विवाह से प्रसन्न नहीं थे। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन करवाया था, लेकिन उस यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया गया । जब इसका पता भगवान शिव की पत्नी को चला तो वह यज्ञ में जाने की रट लगा बैठी, भगवान शिव के लाख मना करने पर भी वह नहीं मानी तो भगवान शिव यज्ञ में पहुंच गए, जहां राजा दक्ष भगवान शिव को देखकर क्रोधित हो गए एवं भगवान शिव का अपमान कर दिया।
भगवान शिव हो गए थे क्रोधित
इस पर सती से भगवान शिव का अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणों की आहूती दे दी। इस पर भगवान शिव क्रोधित हो गए एवं सती के पार्थिव शरीर को यज्ञ कुण्ड से निकाल कर कंधे पर डालकर भूमंडल पर तांडव करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिती पैदा हो गई । इस पर भगवान विष्णु नें सुर्दशन चक्र चलाकर सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर एक-एक कर धरती पर गिराते रहे, जहां सती के अंग गिरे, वहां 51 शक्ति पीठों की स्थापना हुई, उनमें से यह 41वाँ शक्ति पीठ है।
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