scriptDiwali – इस बार ऐसे मनाएं इको फ्रेंडली दीपावली | This time, celebrate eco friendly Diwali | Patrika News

Diwali – इस बार ऐसे मनाएं इको फ्रेंडली दीपावली

locationबस्सीPublished: Nov 09, 2020 11:58:07 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

जयपुर के दिल्ली, कर्नाटक, गोवा व हैदराबाद में भी जगमग होंगे धेनुकृपा आसलपुर के दीपक, गाय के गोबर से तीन लाख दिए बनाने का लक्ष्य, 2.25 लाख दिए भिजवाए जा चुके है

Diwali - इस बार ऐसे मनाएं इको फ्रेंडली दीपावली

Diwali – इस बार ऐसे मनाएं इको फ्रेंडली दीपावली

बिचून। जयपुर जिले के आसलपुर ग्राम में श्रीराम धर्मार्थ गौसेवा संस्थान व धेनुकृपा गोवर्ती पंचगव्य उत्पाद ग्रामोद्योग ने ईको फ्रेंडली दीपावली मनाने के लिए कामधेनू दीपावली महायज्ञ के मकसद से गाय के गोबर से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की प्रतिमाएं और दीपक बनाए जा रहे हैं। इस कार्य के लिए लगभग २० कारीगर दिन रात लगे हुए हैं।
संभवत: यह पहली बार होगा
संभवत: यह पहली बार होगा जब दीपावली के पर्व पर देश के विभिन्न भागों में गाय के गोबर से बने दीपकों से घर रोशन होंगे। धेनुकृपा के कॉर्डिनेटर भागचन्द कुमावत ने बताया कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आव्हान पर एवं विष्णुदत्त शर्मा की प्रेरणा से गौशाला के गोबर से तीन लाख दीपक बनाने के लक्ष्य के मुकाबले करीब 2.25 लाख दीपक तैयार कर दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, बेलगाव, हैदराबाद एवं अयोध्या सहित विभिन्न राज्यों में भिजवाए जा चुके है। दीपावली के पूजन के लिए लक्ष्मीजी एवं गणेशजी की करीब दो हजार मूर्तियां तैयार की गई है। यहां गौमाता पंचगव्य की औषधियों के अलावा धूपबत्ती, गौमूत्र से गव्यनायल, एंटिरेडिएशन टायल आदि तैयार की जाती है।
दियों को पानी में विसर्जन खाद के रूप
पर्यावरण शुद्व होगा भागचन्द ने बताया कि गाय के गोबर से बने दीपक जलाने से पूजन के बाद इन दियों को पानी में विसर्जित कर इस पानी का पेड़ पौधों में खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वहीं दूसरी और गाय के गोबर के साथ हवन सामग्री मिलाकर बनाए गए दीपक की बाती जलने के बाद यह धूपबत्ती की तरह सुलगता रहेगा, जिससे हवन जैसा वातावरण बनेगा और पर्यावरण शुद्ध होगा ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो