संभवत: यह पहली बार होगा जब दीपावली के पर्व पर देश के विभिन्न भागों में गाय के गोबर से बने दीपकों से घर रोशन होंगे। धेनुकृपा के कॉर्डिनेटर भागचन्द कुमावत ने बताया कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आव्हान पर एवं विष्णुदत्त शर्मा की प्रेरणा से गौशाला के गोबर से तीन लाख दीपक बनाने के लक्ष्य के मुकाबले करीब 2.25 लाख दीपक तैयार कर दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, बेलगाव, हैदराबाद एवं अयोध्या सहित विभिन्न राज्यों में भिजवाए जा चुके है। दीपावली के पूजन के लिए लक्ष्मीजी एवं गणेशजी की करीब दो हजार मूर्तियां तैयार की गई है। यहां गौमाता पंचगव्य की औषधियों के अलावा धूपबत्ती, गौमूत्र से गव्यनायल, एंटिरेडिएशन टायल आदि तैयार की जाती है।
पर्यावरण शुद्व होगा भागचन्द ने बताया कि गाय के गोबर से बने दीपक जलाने से पूजन के बाद इन दियों को पानी में विसर्जित कर इस पानी का पेड़ पौधों में खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वहीं दूसरी और गाय के गोबर के साथ हवन सामग्री मिलाकर बनाए गए दीपक की बाती जलने के बाद यह धूपबत्ती की तरह सुलगता रहेगा, जिससे हवन जैसा वातावरण बनेगा और पर्यावरण शुद्ध होगा ।