पेट्रोल-डीजल वाहन पर प्रतिकिलोमीटर लागत जहां 5 रुपए से 10 रुपए तक आती है वहीं इसमें प्रतिकिलोमीटर लागत लगभग एक रुपए आती है। परिवहन का बेहतर साधन
गांवों में परिवहन के साधनों का भी अभाव रहता है, जिससे लोगों को आनेजाने में परेशानी होती है। ई-रिक्शा के जरिए इस समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
सरकार ने ई-व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा रोड को भी रोड टैक्स में छूट दी है। इसके लिए केवल पंजीकरण शुल्क व फिटनेस के 920 रुपए वसूले जाते हैं।
जयपुर में वर्तमान में परिवहन विभाग में पंजीकृत ई-रिक्शा करीब 17000 हैं। जबकि यहां सड़कों पर लगभग 23000 ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। वहीं जिले के शाहपुरा, कोटपूतली, चौमूं, दूदू परिवहन कार्यालयों में पिछले तीन साल में 175 ई-रिक्शा पंजीकृत हुए हैं। जबकि बाहरी इलाकों में रजिस्टर्ड व गैर पंजीकृत की संख्या पन्द्रह सौ के लगभग है। दूदू परिवहन विभाग कार्यालय के अधीन वर्ष 2017, 2019 व 2021 में एक भी ई-रिक्शा पंजीकृत नहीं हुआ। यहां वर्ष 2016 में 6, 2018 में मात्र एक का पंजीयन हुआ।
कोटपूतली
वर्ष : पंजीयन
2019 : 12
2020 : 30
2021 : 30 शाहपुरा
वर्ष : पंजीयन
2019 : 17
2020 : 17
2021 : 24 चौमूं
वर्ष : पंजीयन
2020 : 20
2021 : 05
वर्ष : पंजीयन
2019 : 00
2020 : 12
2021 : 00
इनका कहना है…
ग्रामीण इलाके में लोग ई—रिक्शा में रुचि नहीं दिखा रहे और किसानों व अन्य लोगों को इसकी इतनी जरूरत भी नहीं महसूस हो रही। दुपहिया वाहनों का अधिक उपयोग हो रहा है।
— दिनेश मिश्रा, निरीक्षक, परिवहन विभाग दूदू