कई वाहनों में फास्टैग (FASTag) सुविधा तो होती है लेकिन फास्टैग (FASTag) में पर्याप्त बैलेंंस नहीं होने से टोल की राशि चिप से नहीं कट पाती। टोलकर्मी नियमों केे तहत दोगुना टोल मांगते है तो टोलकर्मी और वाहन चालक के बीच बहस होती रहती है। (National highway authority) जिसके चलते पीछे खड़े वाहनों को भी निकलने में इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो दुगुना टोल नहीं देने की बात पर हो रही बहस में काफी समय खराब हो हो जाता है।
टोल प्रबंधक प्रदीप सिंह ने बताया कि वर्तमान में टोल कलेक्शन की 65 फीसदी राशि फास्टैग (FASTag) से मिल रही हैं। वहीं 35 फीसदी राशि कैश मिल रही है, जबकि 55 फीसदी वाहन फास्टैग (FASTag) सुविधा ले रहे हैं। प्रबंधक ने बताया कि भारी वाहन ट्रक, ट्रोला, बस आदि फास्टैग (FASTag) की सुविधा का अधिक फायदा ले रहे हैं। जबकि कार, जीप में अभी फास्टैग कम हैं।
टोल प्लाजा पर दोनों ओर 4-4 लाइनें हैं। इनमें फास्टैग (FASTag) सुविधा है लेकिन 2 व 3 नम्बर की लाइन में फास्टैग वाहन ही अनिवार्य हैं। यदि इन दोनों लाइनों में बिना फास्टैग (FASTag) वाहन गुजरता है तो दोगुना टोल वसूला जा रहा है। अभी टोल प्रबंधन की ओर से फास्टैग स्कैन की नई मशीनें लगाई जा रही हैं। इससे परेशानी से निजात मिल सकेगी।
टोल प्लाजा पर स्थानीय वाहनों को टोल में 50 से 75 फीसदी तक छूट मिल रही है। इसके लिए स्थानीय वाहनों के पास टोल प्रबंधन की ओर से कार्ड बने हुए हैं। जिन स्थानीय कार्ड धारक वाहनों के पास फास्टैग (FASTag) सुविधा नहीं है, उन्हें स्थानीय वाहन होने की छूट नहीं मिलेगी।
-वसुंधरा राव, मुख्य टोल प्रबंधक, जयपुर-महुआ टोल प्लाजा