चार साल पहले लगे थे भूमिगत कचरा पात्र जानकारी के मुताबिक सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत करीब 4 साल पहले कस्बे में डाक बंगला के पास और नीमकाथाना रोड पर डाकघर के पास आधुनिक तकनीकी के अद्र्धभूमिगत कचरा पात्र लगाए गए थे। योजना के तहत दोनों कचरा पात्र लगाने में करीब 8 लाख रुपए खर्च हुए थे। ये कचरा पात्र जागृति फाउंडेशन अजमेर के तकनीकी सहयोग से फिनलैंड की मोलोह कंपनी द्वारा लगाए गए थे।
चबूतरा बनाकर लगाई थी टाइल्स दोनों स्थानों पर कचरापात्र पूरी तरह जमीन में समाहित है। कचरा पात्र के पास जमीन से दो तीन-फीट ऊपर चारों तरफ चबूतरा बनाकर टाइल्स लगाई गई थी। इसके चारों तरफ स्टील की रेलिंग व चेयर भी लगाई थी। ताकि लोग यहां बैठ सके, लेकिन वर्तमान में यहां बैठना तो दूर पास से गुजरने वाले लोगों को श्वास लेना तक मुश्किल है। एकत्र हुए कचरे व गंदगी में बदबू उठ रही है।
20 दिन पहले बैग खराब कचरा पात्र में लगा बैग करीब 20 दिन से खराब है। सार-संभाल के अभाव में कचरा पात्र के ऊपर के बॉक्स भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बैग में 1500 किलोग्राम कचरा एक बार में संग्रहित होता है। भूमिगत बना कचरा पात्र 10 गुना 10 फीट गहरा बना हुआ है। बैग को भर जाने के बाद क्रेन की सहायता से बैग को बाहर निकालकर ट्रॉली में कचरे को खाली किया जाता है, लेकिन बैग खराब होने से 20 दिन से गंदगी व कचरे को दूर नहीं फैंका जा रहा है।
इनका कहना है कचरा पात्र का बैग फट जाने से कचरा नहीं निकाला जा रहा है। संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। जल्द ही समस्या का समाधान कराया जाएगा। ऋषिदेव ओला, अधिशासी अधिकारी, शाहपुरा।