scriptबस्तर में 13 साल में एचआईवी पीडि़तों की संख्या दो सौ गुना बढ़ी | Jagdalpur : Bastar in two hundred-fold increase in the number of HIV patients in 13 years | Patrika News

बस्तर में 13 साल में एचआईवी पीडि़तों की संख्या दो सौ गुना बढ़ी

locationबस्तरPublished: Dec 02, 2016 07:45:00 pm

Submitted by:

Ajay shrivastava

नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर में एचआईवी तेजी से पांव पसार रहा है। आंकड़ों की माने तो अति पिछड़ा माने जाने वाले इस इलाके में बीते तेरह साल में एचआईवी पीडि़तों की संख्या 43 से बढ़कर 8053 पार हो चुकी

increase in the number of hive patients

HIV is spreading fast feet,

जगदलपुर. नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर में एचआईवी तेजी से पांव पसार रहा है। आंकड़ों की माने तो अति पिछड़ा माने जाने वाले इस इलाके में बीते तेरह साल में एचआईवी पीडि़तों की संख्या 43 से बढ़कर 8053 पार हो चुकी हैं, जबकि जानकारों के अनुसार इनकी तादाद और अधिक है।

इससे एड्स से बचाव और जागरूकता के लिए होने वाले प्रसार प्रसार पर करोड़ों खर्च के औचित्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। शहर के महारानी अस्पताल में 2003 में एआरटी सेंटर की स्थापना हुई थी।

तब महज 43 लोग एचआईवी पॉजीटिव थे, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई और अब यह 8053 पार हो चुकी है। इसमें काउंसिलिंग के लिए शामिल वे मरीज भी हैं जिनका उपचार चल रहा है। हैरत की बात यह है कि इनमें पुरुषों व महिलाओं की दर में एक समान इजाफा हो रहा है।
increase in the number of hive patients in 13 year

मजदूरों का पलायन व सुरक्षा बल मुख्य वजह
काउंसलर्स व एनजीओ की मानें तो बस्तर के आदिवासियों का रोजगार के लिए सीमावती राज्यों में पलायन व सुरक्षाबल के जवान एचआईवी के सबसे बड़े (98 फीसदी) वाहक हैं। इनके जरिए असुरक्षित यौन संपर्क से एचआईवी वायरस एक से दूसरे में फैल रहे हैं। इसके बाद दो प्रतिशत वजह ब्लड ट्रांसफ्यूजन व गर्भस्थ शिशुओं का इस रोग से पीडि़त होना है।

जागरुकता ही बचाव
मुकुंद दीवान, प्रभारी एआरटी मेकॉज,जगदलपुर : एड्स से बचाव ही उसका उपचार है। इसके लिए समाज में जागरुकता फैलाई जा रही है। एड्स दिवस पर रैली निकालकर इसका प्रचार- प्रसार किया गया है। असुरक्षित यौन संबंध ही इसका सबसे बड़ा कारण है। शिक्षा, गरीबी व पलायन को रोकने व सामाजिक बंधन से इस पर काबू पाया जा सकता है।

खुलासा होते ही भाग जाते हैं
एआरटी सेंटर में जैसे ही पीडि़त को यह जानकारी होती है कि उसमें एचआईवी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो अव्वल तो वह वहां से भाग जाता है या फिर पहचान छिपाते हुए दूसरे शहर व राज्यों में अपना उपचार कराता है। इसके अलावा कुछ अवसाद में चले जाते हैं इलाज से बचते हुए धीरे-धीरे खामोश हो जाते हैं। एआरटी सेंटर सूत्रों ने बताया कि पहचान छिपाने की वजह से एचआईवी पीडि़त का वास्तविक आंकड़ा बता पाना संभव नहीं ।

वर्ष-2003-काउंसिलिंग-43-पुरुष-43-महिला-0-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-2- महिला-0
वर्ष-2004- काउंसिलिंग-65- पुरुष-61महिला-4-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-3- महिला-2
वर्ष-2005- काउंसिलिंग-264- पुरुष-161-महिला-40-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-1- महिला-0
वर्ष-2006- काउंसिलिंग-685- पुरुष-275-महिला-354-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-21- महिला-20
वर्ष-2007- काउंसिलिंग-1485- पुरुष-911-महिला-480-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-32- महिला-19
वर्ष-2008- काउंसिलिंग-1730- पुरुष-1300-महिला-403-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-38- महिला-25
वर्ष-2009- काउंसिलिंग-2149- पुरुष-1419-महिला-719-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-39- महिला-44
वर्ष-2010- काउंसिलिंग-2122- पुरुष-1337-महिला-772-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-40- महिला-49
वर्ष-2011- काउंसिलिंग-1760- पुरुष-973-महिला-729-एचवाईवी पॉजीटिव- पुरुष-75- महिला-36
वर्ष-2012- काउंसिलिंग-1902- पुरुष-989-महिला-906-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-28- महिला-34
वर्ष-2013- काउंसिलिंग-3798- पुरुष-2032-महिला-1710-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-90- महिला-59
वर्ष-2014- काउंसिलिंग-4763- पुरुष-2708-महिला-2055-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-92- महिला-57
वर्ष-2015- काउंसिलिंग-7885- पुरुष-4529-महिला-3356-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-124- महिला-72
वर्ष-2016- काउंसिलिंग-8053- पुरुष-4629-महिला-3424-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-123- महिला-70
कुल——- काउंसिलिंग-36704- पुरुष-21367-महिला-11528-एचवाईवी पॉजीटिव-पुरुष-708- महिला-487 है।
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