15 साल से सड़क को बनाने के लिए जद्दोजहद करते आ रहे है। 30 साल पहले सड़क पर गिट्टी डालकर छोड़ दिया गया था। इस सड़क को बनाने और विकास की चाह ने सरपंच को माओवादी रडार पर ला दिया। करीब डेढ़ साल पहले सरपंच लिंगाराम को माओवादियों ने बुरी तरह से पीटा और अर्थ दंड भी लगाया। लिंगा के साथ तीन लोगों को और गांव से पकड़ा था। माओवादियों के आरोपो को खारिज करता रहा की वह न पुलिस का समर्थक है और न माओवाद का। पंचायत का विकास चाहता है, जिससे गर्भवती और मरीज अस्पताल आसानी से पहुंच सके।
इतनी यातनाओ को झेलने वाले लिंगा कहते है कि उन्होंने तो अपनी पंचायत विकास के बारे में सोचना छोड़ दिया था। लेकिन गांव की महिलाओ ने हौंसला दिखाया। वे आगे आई, खुद कुदाल फावड़ा और टंगिया लेकर सड़क पर काम करने लगी। उन्होंने कहा जो भी सामने आएगा वे ही बात करेंगी। इस हौसले को अधिकारियों को बताया। अधिकारियो ने भी गदपाल की सूरत बदलने के लिए पंचायत को पैसा दिया। करीब दस किलोमीटर की सड़क पर मिट्टी का काम पूरा हुआ। अब इस सड़क पर डामरीकरण करने का भी जोर दिया जा रहा है।
गदापाल से गढ़मिरी, अंदोडीपारा के बीच कच्ची सड़क भी नहीं है। जबकि पहले बनी सड़क गढ़मिरी तक है। इस सड़क को गदापाल से जोडऩे के लिए अंदोड़ीपारा तक लाया गया था। फिर से वही बात माओवादी नहीं बनने दे रहे है। इस ढाई किलोमीटर सड़क के बनने से गदापाल, तोएलंका, सूरनार, लखापल , गढ़मिरी, महारापरा जैसी पांच पंचायतो को सहूलियत हो जाएगी। करीब 10 हजार की आबादी सीधी दो ब्लाक मुख्यलाय से जुड़ जायेगी। कटेकल्याण और कुआकोंडा बेहद नजदीक होंगे। अभी दंतेवाड़ा के लिए करीब 35 से 40 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। इस सड़क के बनने से दोनों ब्लॉक मुख्यालय 15 किलोमीटर की परिधि में होंगे। गदापाल की महिलाएं जल्द ही कलक्टर सौरभ कुमार से मिलकर इस सड़क को बनाए जाने की मांग करेंगी।