बस्ती. बस्ती के 151वां स्थापना दिवस को लेकर जिले के समाजसेवियों ने केक काटकर मनाया। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जन्म स्थली को लेकर बस्ती को इतिहास में पहचान मिली है लेकिन पूर्वांचल में यह जिला विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। 151 साल पुरा करने के बाद भी आज बस्ती देश और प्रदेश के पटल पर कोई खास पहचान नहीं बना पाई है।
लेकिन यहां के नागरिकों में अपने जिले के बर्थडे को लेकर काफी उत्साह दिखा और वे स्टेडियम में केक काटकर सेलिब्रेट किया। इस मौके पर यूपी बालीवाल एसोसिएशन के प्रदेष अध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह ने एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया और खिलाडि़यो ने खुद संगीत सुनाकर बस्ती के बर्थडे पर खुशी जाहिर की।
असल मायने में बस्ती क्रातिकारियों की स्थली रही है और यहां से ही स्वतंत्रा संग्राम की चिंगारी भी पहली बार दहकी थी। यहां तक जिले के छावनी एरिया में एक पेड़ पर अंग्रेजो ने 150 से अधिक क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया था। जब कि महुआ डाबर में क्रांतिकारियों ने सैकड़ो अंग्रेजो को मौत के घाट उतारा था। बस्ती की पहचान को बचाये रखने के लिये आम नागरिकों की यह पहल शायद बस्ती को नई पहचान देने में थोड़ा सहयोग दे सके।