पुलिस ने एबीवीपी के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य राघवेन्द्र सिंह को ठेले वाले को पीटने के आरोप में पुलिस हिरासत से महज तीन-चार घंटे में ही रखा और इसके बाद वह छोड़ दिये गए, लेकिन यह बात संगठन के कार्यकर्ताओं ने दिल पर ले ली। उन्हें लगा कि पुलिस ने ज्यादती की है। बस फिर क्या था, बस्ती कोतवाल के खिलाफ एबीवीपी ने हल्ला बोल दिया और जिलाधिकारी कार्यालय पर आमरण अनशन पर बैठ गए। दो दिन पहले सुबह नौ बजे से शुरू हुआ एबीवीपी का अनशन रात 10 बजे तक काफी समझाने के बाद जाकर खत्म हुआ। अनशन भी यूं ही नहीं खत्म हुआ, मौके भाजपा विधायक संजय जायसवालख व दयाराम चौधरी आए और पुलिस अधीक्षक पंकज और एसडीएम रमेश चन्द्र ने उनके सामने मामले में उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया तब जाकर धरना समाप्त हुआ।
रुधौली के विधायक संजय जायसवाल ने एबीवीपी को जिम्मेदार संगठन बताते हुए कहा कि अधिकारियों ने आश्वासन दिया है। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को जरूर सकारात्मक निर्णय मिलेगा। उनकी बात सच हुई, आखिरकार एबीवीपी की ही चली और एसपी शहर कोतवाल को हटा दिया गया। उन्हें कहां भेजा गया है यह पता नहीं चल पाया है।
ये है पूरा प्रकरण बस्ती के गांधीनगर स्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यालय के नीचे फल के ठेला लगाने से सड़क तक अतिक्रमण था। एबीवीपी की मानें तो कई बार समझाने पर भी वह नहीं माना। गुरुवार को विक्रेता ने अपने समर्थन में दर्जनों लोगों को बुलाकर बवाल काटा। आरोप है कि इसी दौरान पहुंचे बस्ती शहर कोतवाल ने संगठन मंत्री राकेश और राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य राघवेन्द्र सिंह का गाड़ी में बैठा लिया। इसकी खबर फैलते ही दर्जन से अधिक कार्यकर्ता कोतवाली पहुंच गए और गेट पर ही नारेबाजी करते हुए धरना दिया।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं का आरोप था कि कोतवाल बिना एफआईआर के गाड़ी खींचकर गाड़ी में ले गए। इसे पूरे संगठन का अपमान बताया और ऐलान कर दिया कि जब तक कोतवाल पर कार्रवाई नहीं हो जाती भोजन नहीं करेंगे। इसके बाद शुक्रवार को डीएम कार्यालय पर आमरण अनशन पर बैठ गए। आखिरकार यह दबाव काम आया और कोतवाल के खिलाफ कार्रवाई हो गयी।
By Satish Srivastava