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बस्ती महोत्सव : कुमार विश्वास की कविता और मैथिली ठाकुर के गीतों पर झूमे लोग

locationबस्तीPublished: Jan 29, 2020 08:20:38 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

कार्यक्रम की शुरूआत उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया ।

Maithili Thakur

मैथिली ठाकुर

बस्ती. जीआइसी परिसर में आयोजित पांच दिवसीय बस्ती महोत्सव की मंगलवार को शुरूआत हुई । कार्यक्रम का पहला दिन कुमार विश्वास की कविता और मैथिली ठाकुर के गीतों के नाम रहा । कार्यक्रम की शुरूआत उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया । उद्घाटन के बाद अवधी क्षेत्र में मिथिला की शहनाई यादगार बन गई।

मधुबनी (बिहार) से आई भोजपुरी कलाकार मैथिली ठाकुर की सुर लहरियों का देर रात तक प्रवाह हुआ। मैथिली अपने दो छोटे भाई ऋषभ और अयाची ठाकुर एवं पिता रमेश ठाकुर के साथ मंच पर आई तो लोग उनकी प्रस्तुति का इंतजार करने लगे। थोड़ी ही देर में मैथिली ने पूरी महफिल सजा दी। उनके मुक्त कंठ से निकल रही मीठी धुन हर किसी के ह्दय को स्पंदित करने लगा। मैथिली ने राम के जन्म से लेकर विवाह तक का चित्रण अपने भोजपुरी गीतों में किया। सोहर और विवाह गीत भगवान राम के जीवन से जुड़ी याद को तरोताजा करा दिया। मैथिली के गीत की बोल उनके भाई अयाची दोहरा रहे थे। सूफी गीत दमादम मस्त कलंदर सुनकर उमंग की तरंगे पूरे पंडाल मे प्रस्फुटित हो उठी। उल्लास और माधुर्य हिलोरे ले रहा था। छाप तिलक सब छीनी रे. पर श्रोता देर तक झूमते रहे। तो वहीं मैथिली की कव्वाली गीत मेरे रसके कमर. ने युवाओं को झकझोर दिया।
Kumar Vishwas
बस्ती महोत्सव में कुमार विश्वास के साथ देश के नामचीन कवियों ने कविता, गजल और मुशायरा की महफिल सजाई। देर रात तक पंडाल में कवियों के उत्साहवर्धन में तालियां गूंजती रही। हेमंत पांडेय कानपुरी ने अपने हास्य व्यंज्ञ से श्रोताओं को हंसा कर लोट-पोट कर दिया। व्यंज्ञ से देश के वर्तमान हालात पर भी चोट किया। सबा बलरामपुरी ने गजल रंग लाई दुआ मोजिजा हो गया, जो नहीं था मेरा वो मेरा हो गया.। समाज के बदलते चरित्र पर प्रहार किया। गोरखपुर के दिनेश बावरा ने आशाराम को लेकर कविता पाठ कर लोगों को खूब हंसाया। प्रदेश में योगी के रोमियो दस्ते पर कविता के जरिये टिप्पणी की। गीतकार अमन अक्षर ने सब जो कहते हैं सुनने की कोशिश में हूं, अब मैं चुपचाप रहने की कोशिश में हूं.. गीत सुनाकर लोगों को गुदगुदाया।
कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं से मंच को ऊंचाई दी। उन्होंने अपनी कविताओं के द्वारा राजनीति, सामाजिक कुरीतियों और व्यवस्था पर प्रहार किया। कुमार विश्वास ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल जी अब आप मंदिरों में जाकर वर नहीं वधू मांगो, कहा कि सोनिया जी आपको न तो बहू मिल रही और ना बहुमत। कुमार विश्वास ने हमें बेहोश कर साकी पिला भी कुछ नहीं हमको, करम भी कुछ भी नहीं हमको सिला भी कुछ नहीं हमको.. सुनाकर महफिल लूट ली। धारा 370 पर जली काश्मीर की वादी तो हम चुप रह नहीं सकते.. कविता सुनाई तो पंडाल में देशभक्ति का संचार हो गया। प्रधानमंत्री आवास और अयोध्या पर कविता पाठ कर वाहवाही लूटी।
BY- SATISH SRIVASTAVA

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