मामला 2013 से 2018 के बीच का है, तत्कालीन अधिशाषी अभियंता रमन सिंह पर बिना काम कराए करोड़ो रूपए का भुगतान कर देने का आरोप है। मामले की शिकायत पर शासन ने जांच तेज कर दी है। लखनऊ से शासन की आठ सदस्यीय टीम ने अधिशाषी अभियंता रमन सिंह के घर पर छापामार कर दस्तावेज और कम्प्यूटर को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके अलावा अधीक्षण अभियंता और मुख्य कोषाधिकारी की टीम भी जांच कर रही है।
जांच में पता चला है कि अनुबंध तो करोड़ो का हुआ मगर निर्माण कार्य नहीं कराया गया। जिन निधियों से पैसे का खेल किया गया उसमें राज्य सड़क निधि, स्पेशल कम्पोनेंट स्कीम, विशेष मरम्मत, सड़कों के रख रखाव और पैच मरम्मत के काम शामिल हैं। बिना काम कराए ही करोड़ो रूपए इन निधियों से निकाल कर बंदरबांट कर लिया गया। सप्लाई आर्डर के नाम पर भी बड़ा घपला किया गया है। करोड़ो के सरकारी धन के बंदरबांट में कार्यों का एमबी करने वाले सहायक अभियंता, तत्कालीन एक्सईएन और ठेकेदारो की मिलीभगत की बात कही जा रही है, वहीं मामले की जांच शुरू होने से विभाग और ठेकेदारों में हड़कम्प मच गया है। कमिश्नर अनिल सागर ने कहा की मामले की जांच के बाद जो भी दोषी होंगे उन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार करने वालों को सख्त सजा मिलेगी।