निकाय चुनाव से ठीक पहले टिकट हासिल करने के मकसद से बीजेपी ज्वाईन करने वाले सपा के नेता रहे अरविंद पाल सीडीए नाम से एक प्राईवेट स्कूल चलाते हैं। चुनाव से ठीक पहले बनकटी नगर पंचायत की सीट महिला आरक्षित हो गई। सीट महिला आरक्षित होने के बाद अरविंद पाल के मंसूबो पर पानी फिर गया और वे अपने स्कूल की एक दाई उर्मिला देवी को टिकट दिलवाकर चुनाव मैदान में कूद पड़े ।
उर्मिला देवी पांचवीं तक पढ़ी है और उन्हें राजनीति का एबीसीडी तक नहीं पता है, मगर जब मालिक ने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा तो मजबूरी मे वे जनता से वोट मांगने आ गई। उर्मिला देवी चुनाव लड़ने से पहले एक स्कूल में खाना बनाने और बर्तन धोने का काम करती थी। उर्मिला देवी गांव गांव वोट मांगने पहुंच रही हैं, मगर उन्हें न तो यह पता है कि जिस पद के लिये वे चुनाव मैदान है उसे अंग्रेजी में क्या कहते हैं। उर्मिला देवी को यह भी पता नहीं कि जनता की मूल समस्या क्या है और अगर जीत जाती है वे तो जनता के लिये क्या करेंगी।
अरविंद पाल एक महीने पहले सपा से बीजेपी मे आये और अब खुद को वरिष्ठ भाजपाई कहते नजर आ रहे हैं। अरविंद पाल ने उर्मिला देवी को मोहरा बनाकर बीजेपी से टिकट दिलाने मे कामयाब तो हो गये लेकिन अब वही उर्मिला देवी उनके लिये ही गले की फांस बन गई हैं, जिसका फायदा बसपा और सपा को मिल सकता है। बहरहाल इस अजब गजब प्रत्याशी को लेकर चर्चा आम हो गई है कि अगर किसी अनपढ को अपना चेयरमैन चुना गया तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा ।