शिक्षा विभाग के भरोसे बैठने के बजाय डीएम अरविंद सिंह ने पहल करते हुये सप्ताह के एक दिन प्राईमरी स्कूल मे टीचिंग करने की निर्णय लिया। इस फैसले के साथ ही डीएम पहुंच गए सदर ब्लॉक के जिगिना प्राईमरी स्कूल में, जहां डीएम और एसडीएम दोनों अफसरों ने बच्चों को एक घंटे तक पढ़ाया। डीएम ने बच्चों के पूछा कि, वे जीवन में क्या बनना चाहते हैं। जिसके जवाब मे बच्चों ने एसपी, डॉक्टर और इंजीनियर बनने की बात कही। डीएम ने बच्चों के लिये बनने वाले मिड डे मिल को भी चेक किया। साथ ही दोनों अफसरों ने खाना भी खाया, डीएम ने पांचवी क्लास के बच्चों को पढाते वक्त उनसे पूछा कि, कितने बच्चो के घर शौचालय नहीं है। बच्चों का जवाब मिलने के बाद तत्काल बीडीओ को बच्चों के नाम नोट कर उनके घर शौचालय बनाने की भी निर्देश दिया। उन्होंने बच्चों से बेसिक चीजें पूछा और उन्हें 30 मिनट तक पढाया भी, जिले के दो बडे अफसरो की इस पहल के बाद देखना होगा कि प्राईमरी स्कूलों की दशा मे कोई बदलाव आता है या नहीं, इतना जरूर है कि डीएम के निर्देश पर सभी अफसरों को प्राईमरी स्कूल मे जाकर ऑफिसियल टाइम में से थोड़ा वक्त निकालकर एक दिन पढ़ाना अमल में आ पाता है या नहीं।
शिक्षा विभाग के भरोसे बैठने के बजाय डीएम अरविंद सिंह ने पहल करते हुये सप्ताह के एक दिन प्राईमरी स्कूल मे टीचिंग करने की निर्णय लिया। इस फैसले के साथ ही डीएम पहुंच गए सदर ब्लॉक के जिगिना प्राईमरी स्कूल में, जहां डीएम और एसडीएम दोनों अफसरों ने बच्चों को एक घंटे तक पढ़ाया। डीएम ने बच्चों के पूछा कि, वे जीवन में क्या बनना चाहते हैं। जिसके जवाब मे बच्चों ने एसपी, डॉक्टर और इंजीनियर बनने की बात कही। डीएम ने बच्चों के लिये बनने वाले मिड डे मिल को भी चेक किया। साथ ही दोनों अफसरों ने खाना भी खाया, डीएम ने पांचवी क्लास के बच्चों को पढाते वक्त उनसे पूछा कि, कितने बच्चो के घर शौचालय नहीं है। बच्चों का जवाब मिलने के बाद तत्काल बीडीओ को बच्चों के नाम नोट कर उनके घर शौचालय बनाने की भी निर्देश दिया। उन्होंने बच्चों से बेसिक चीजें पूछा और उन्हें 30 मिनट तक पढाया भी, जिले के दो बडे अफसरो की इस पहल के बाद देखना होगा कि प्राईमरी स्कूलों की दशा मे कोई बदलाव आता है या नहीं, इतना जरूर है कि डीएम के निर्देश पर सभी अफसरों को प्राईमरी स्कूल मे जाकर ऑफिसियल टाइम में से थोड़ा वक्त निकालकर एक दिन पढ़ाना अमल में आ पाता है या नहीं।