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जब हर जगह होता है दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन तब बस्ती में शुरू होता है दशहरा

locationबस्तीPublished: Oct 04, 2017 09:25:15 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

सासंद हरीश द्विवेदी भी मां की दिव्य आरती में हुए शामिल

Durga puja

दुर्गा पूजा

बस्ती. मां की कृपा पाने के लिए भक्त दिनरात पूजा-आराधना में तल्लीन हैं। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिमाओं का विसर्जन दशहरा को हो चुका है जबकि बस्ती शहर में पूर्णमासी को विसर्जन होने के नाते अभी पंडालों की सजावट चल रही है। देश में दशहरा का पर्व समाप्त हो चुका है मगर बस्ती जिले में दशहरा पर्व अब पुरे शवाब पर है। सासंद हरीश द्विवेदी भी मां की दिव्य आरती में शामिल हुए व मां का आशीर्वाद लिए। अभी दो दिन और बस्ती मे मां दुर्गा का पूजा पाठ और भव्य मेले का माहौल रहेगा। जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किये हैं।
जब पुरे देश में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन हो जाता है तब बस्ती में सालों पुरानी परंपरा के अनुसार अतिरिक्त पांच दिन तक पूर्णमासी को दशहरा पर्व समाप्त होता है। जिले में अलग-अलग कान्सेप्ट पर दुर्गा पंडालों को सजाया गया है। लाखों की संख्या में भीड़ मां के दर्शन के लिये पहुंच रहे हैं और मेले का लुप्त उठा रहे हैं।
पुरानी बस्ती के सुर्तीहट्टा मुहल्ले में सबसे आकर्षक दुर्गा पंडाल सजाया गया है। नाम वैष्णों देवी की तर्ज पर आयोजकों ने पंडाल सजाया है जिसमें गुफा के अंदर से मां के दर्शन के लिये लोगों को गुजरना पड़ता है। वाकायदा पहाड और बाण गंगा के दृश्य को भी यहां बखूबी माता वैष्णो देवी मंदिर का रुप देने का प्रयास किया गया है। दूसरी सबसे आकर्षित मूर्ति कपंनीबाग की है जहां मां की प्रतिमा को बेहद खूबसूरत बनाया ही गया है बल्कि पंडाल की दो छोटी प्रतिमा भगवान गणेश और कार्तिकेय को चलायमान किया गया है। यहां के पंडाल में आते ही लोगों को दो प्रतिमायें चलती हुई नजर आती है।
जो लोगों को इस पंडाल की तरफ अपने आप खींच लाती है इस पंडाल को कारीगरों ने केरल के एक प्रसिद्ध मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। वहीं महरीखांवा मुहल्ले की प्रतिमा भी किसी से कम नही है। यहां के पंडाल को भी कलकत्ता के मंदिर की आकृति देने का कारिगरों ने प्रयास किया है।
मां की कृपा पाने के लिए भक्त दिनरात पूजा-आराधना में तल्लीन हैं। शहर से लेकर गांवों तक दुर्गापूजा की रौनक बढ़ती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिमाओं का विसर्जन दशहरा को होगा, इसलिए वहां उल्लास अब चरम पर पहुंच रहा है, जबकि शहर में पूर्णमासी को विसर्जन होने के नाते अभी पंडालों की सजावट चल ही है।

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