बताते चलें कि यूपी का बस्ती जिला गन्ने की खेती के लिये मशहूर है। यहां का मुख्य रोजगार कृषि है और किसानों की मुख्य फसल गन्ना। इसकी खेती पूरे जिले में बड़े पैमाने पर होती है। अंदाजा इसी आधार पर लगाया जा सकता है कि जिले में चार-चार चीनी मिलें हैं। वॉल्टरगंज चीनी मिल में इलाके के करीब 60 हजार गन्ना किसानों का 49 करोड़ रुपये बकाया 2015 से चला आ रहा है। भुगतान की मांग को लेकर किसान तब से अपनी आवाज उठाते चले आए हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि अब तक न तो चीनी मिल ने भुगतान किया और न ही सरकार ने इस बात के लिये कोई कदम उठाया की किसानों का बकाया उन्हें मिले।
लोकसभा चुनावों के दौरान करीब 10 दिन पहले जिला पंचायत सदस्य राम प्रकाश चौधरी की अगुवाई में 100 से 150 किसान वॉल्टरगंज चीनी मिल के गेट पर बैठ गए। उनका साथ चीनी मिल के कर्मचारियों ने भी दिया। इसके बाद भी जब इनकी बात नहीं मानी गयी तो धरनारत किसानों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की धमकी दी। बकाया भुगतान को लेकर तब भी कुछ नहीं होने पर किसानों ने वहां चुनाव बहिष्कार का बैनर लगा दिया।
जिला प्रशासन ने बकाया भुगतान की डेटलाइन 15 अप्रैल तक दी थी। बावजूद इसके भुगतान न होने पर इन लोगों ने 16 अप्रैल मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर किसान गेट पर ही प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार, यूपी सरकार और वाल्टरगंज चीनी मिल मैनेजमेंट के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। वहां प्रधानमंत्री का पुतला भी फूंका गया। इस मामले को लेकर बुधवार को वॉल्टरगंज थाने में धरनारत राम प्रकाश चौधरी, शत्रुघ्न सिंह, हरिराम, अंगद, मनिराम, वीरेन्द्र और चेतराम समेत 30 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
चौधरी ने इस कार्रवाई के बाद कहा है कि प्रधानमंत्री ने 14 दिन में गन्ना बकाया भुगतान कराने का का वादा किया था, लेकिन बस्ती में किसानों का भुगतान कराने के बजाय उनपर एफआईआर दर्ज करा दिया गया है। आंदोलनरत किसान इससे डरेंगे नहीं। हमारा धरना जारी, पुलिस को गिरफ्तार करना हो तो आकर कर सकती है।
By Satish Srivastava