मेडिकल स्टोर जितनी बड़ी दुकान में चल रहा अस्प्ताल, बैठने वाले बेंच को खाली कराकर लेटाते हैं मरीज, तब चढ़ता है ग्लूकोज।
बस्ती सरकारी अस्पताल
सतीश श्रीवास्तवबस्ती . दरकती दीवारें, टूटी खिड़कियों के शीशे, वार्डों और डॉक्टरों के कमरे में लगे ताले, चूहों की रिहाइश बना दवा का स्टॉक रूम, एक बदहाल और जर्जर अस्पताल भी हो तो कम से कम उसकी बदहाली बातने के लिये बतायी गयी चीजें जरूरी हैं। पर बस्ती जिले में तो ऐसा अस्पताल है जिसे ऐसी बदहाल स्थिति भी मयस्सर नहीं। अस्पताल के नाम पर अगर कुछ है तो एक किराए की दुकान जो किसी गांव के साधारण से मेडिकल स्टोर से ज्यादा कुछ भी नहीं।
बस्ती जिले से तकररीबन 20 किलोमीटर दूर मुसहा के सरकारी अस्पताल का पता यही मेडिकल स्टोर जैसी दुकान है। वह भी तब जब स्वास्थ्य केन्द्र की शानदार बिल्डिंग बनकर तैयार है। पत्रिका के संवाददाता ने जब मौके पर जाकर पड़ताल की तो वहां चौंकाने वाली बातें सामने आयीं। पता चला कि स्वस्थ्य केन्द की शानदार बिल्डिंग अखिलेश यादव सरकार में पास हुई और बन भी गयी। बिडल्डिंग बनकर तैयार है पर उसमें अस्पताल नहीं चलता। अगर अस्पताल इस बिल्डिंग में नहीं चलता तो कहां चलता है। हम आपको बताते हैं, बिल्डिंग से बाजार की तरफ जाते मय मुसहा बाजार में एक दुकान पर भीड़ लजर आएगी। देखने में वह आपको एक मेडिकल स्टोर लग सकता है। पर ऐसी भूल मत कीजियेगा, क्योंकि वो सरकारी अस्पताल यानी प्राथमिक स्वासथ्य केन्द मुसहां है।
वहां न तो मरीजों के लिये बेड है न ओपीडी, न नर्स कक्ष है और न ही ड्यूटी कक्ष, पैथोलॉजी और प्रसव कक्ष की बात सोचना भी बेमानी है। डॉक्टर भी वहां नहीं मिले। एक फार्मासिस्ट मिला, जिसने बताया कि जो मरीज आते हैं उन्हें दुकान लोगों के बैठने का बेंच खाली कर उसी पर लेटाकर ग्लूकोज चढ़ाया जाता है। चौंकाने की बात यह कि मरीजों की जिंदगी से हो रहे इस खिलवाड़ को गंभीरता से लेने वाला कोई नहीं।
इस बात की भी पड़ताल की गयी कि आखिर बिल्डिंग बन गयी है तो अस्पताल दुकान में क्यों चलता है। स्थानीय लोगों ने कहा कि बिल्डिंग बन तो चुकी है पर विभाग हैंडओवर नहीं ले रहा। इस बाबत जब एडी हेल्थ डॉ. रंगजी दि्ववेदी से बात की गयी तो उन्होंने एक लाइन में इतना ही कहा कि पैसा अवमुक्त हो चुका हे और माह क अंत तक यह हैंडओवर हो सकता है। फार्मासिस्ट ने भी यही बात दोहरायी। हालांकि सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि चूंकि सपा द्वारा कराया गया काम है इसलिये इसमें देरी की जा रही है।