दरअसल, कलवारी थाना क्षेत्र के महुआपार कला गांव में सरयू नदी के पास सैय्यद साहिल अली को बालू के खनन का पट्टा दिया गया। लेकिन उसके किसी भी प्रमाण पत्र की जिला प्रशासन ने जांच नहीं की। इतना ही नहीं संपत्ति के तौर पर भी कोई प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। जिसका फायदा उठाकर बालू माफियाओं ने डीएम को ठग लिया। प्रदेश का सबसे बड़ा बालू का सिंडिकेट चलाने वाला हाफिज उर्फ डॉक्टर बालू का खनन करता रहा। निर्धारित से भारी मात्रा में अधिक बालू का खनन करने पर डीएम राजशेखर ने जांच कराई और पट्टा धारक पर 15 करोड़ का जुर्माना लगाया।
काफी दिन बीत जाने के बाद भी जब पट्टा धारक ने जुर्माने की रकम जमा नहीं की तो राजस्व विभाग की तरफ से सैयद शाहिल अली के नाम आरसी काटकर उसके बताये पते पर भेजी गई। लेकिन जब आरसी उक्त पते पर पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई भी शख्स गांव में है ही नहीं। मतलब साफ हो गया कि बालू माफियाओं ने फर्जी डॉक्यूमेंट के सहारे बालू का पट्टा हासिल किया और अवैध खनन करके मोटी कमाई कर रफूचक्कर हो गए। अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह खड़ी हो गयी है कि वह अब इस जुर्माने की रकम को कैसे और किससे वसूल करेगी। बहरहाल डीएम राजशेखर ने अयोध्या डीएम को पत्र लिखकर मदद मांगी की जिस बालू माफिया ने इस ठगी को अंजाम दिया उसे पकड़ा जाए। इस पत्र के बाद डीएम अयोध्या ने पट्टा धारक के नाम से चल रही बैंक खातों की जांच कराई और उस खाते से 32 लोगो के द्वारा लेनदेन की बात सामने आई है, जिला प्रशासन अब इन लोगो के गिरेबान तक पहुचना चाह रही है ताकि जुर्माने की रकम को वसूल सके।
डीएम राजशेखर ने इस बावत बताया कि पट्टा धारक पर जुर्माना लगाया गया था और आरसी भी काट कर भेजी गई है, अब उस बालू माफिया के गिरफ्तारी के लिए भी आदेश किया गया है जिसने यह सब अंजाम दिया है, बालू के पट्टा धारकों को इस बात का फायदा मिला कि हैसियत प्रमाण पत्र उनके द्वारा नही लगाया गया लेकिन अब ऐसा नही होगा, और जो भी बालू का पट्टा लेने आएगा उसके लिए एक प्रोफॉर्मा बनाया जाएगा और जब तक वह व्यक्ति अपनी संपत्ति का ब्यौरा नही देगा उसे पट्टा अलॉट नहीं होगा।
BY-Satish Srivastava