बता दें कि वोट लेने के लिए सभी नेताओं ने पुल बनाने का वादा किया था। मगर, सत्ता में आते ही सभी अपना वादा भूल गए। 18 दिन से डीएम कार्यालय में चंद्रमणि अनशन कर रहे हैं। जहां दो बार उनकी तबियत भी खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया जा चुका है। उसके बाद भी वे अनशन पर डटे हैं। अब चन्द्रमणि की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है और उधर अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं।
अनशनकारी चन्द्रमणि के मांगपत्र मे जनपद के प्रमुख चौराहों पर आए दिन होने वाली मौतों के रोकथाम के लिए अंडरपास निर्माण, अमहट पुल निर्माण, द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन के तहत पेंशन, किसानों की खुशहाली हेतु जंगली छुट्टा जानवरों से फसल की सुरक्षा देने के साथ-साथ नहरों में पानी देने व किसानों का बकाया विद्युत बिल को माफ करने की मांग को लेकर 8 मार्च से जारी आमरण अनशन के 18वें दिन डीएम को मांग पत्र सौंपा।
धरनारत चन्द्रमणि पाण्डेय ने कहा कि किसानों की खुशहाली के नाम पर आई योगी और मोदी सरकार एक अदद पुल नहीं बनवा पा रही है। जिम्मेदारी भरे मंच से घोषणा तो कर देते मगर उस अमल नहीं करते। बस्ती शहर में आने वाले अमहट पुल के टूट जाने से सैकड़ों गांव के लोग अतिरिक्त 10 किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हैं, जिससे आए दिन शहर के प्रवेश पर जाम की समस्या बनी रहती है।