बस्ती जिले के फुटहिया गांव मंजुरन और पति शौहर अलि हुसैन के शादीशुदा जिंदगी में सब ठीक चल रहा था। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बीता रहे थे। इसी बीच शौहर अलि हुसैन की मौत ने सबकुछ बदल गया। मंजुरन के पास रह गई थी तो बस पति की यादें और पति का ख्वाब।
दरअसल, शौहर अलि हुसैन का सपना था कि, वह एक मस्जिद बनवाएंगे जहां लोग इबादत करेंगे। लेकिन असमय मौत ने सबकुछ खत्म कर दिया। इसके बाद पत्नी ने पति की याद में उनके ख्वाब को पूरा करने का सोच लिया। लेकिन मंजुरन के पास इसके लिए पैसे नहीं थे। तंगहाली और आर्थिक परेशानियों के कारण मंजुरन सफल नहीं हो पा रही थी। लेकिन, उसने हिम्मत नहीं हारी।
फुटहिया गांव की रहने वाली मंजुरन, मरहुम हो चुके शौहर अलि हुसैन के ख्वाब को पूरा करने के लिये आगे बढ़ी। कहते हैं न कि, अगर हौसले बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। मंजुरन ने 6 साल तक लोगों से 25 पैसे 50 पैसे तक चंदा इकट्ठा करना शुरु किया। धीरे-धीरे मंजुरन उस चंदे की रकम को मस्जिद मे खर्च कर निर्माण कार्य चालू कराया। लेकिन इतने कम पैसों से मस्जिद बनवाना आसान नहीं था। लोगों की मदद आने में मंजुरन को कई साल बीत गए और अंत में यह ईबादतगाह बनकर तैयार हो गया।
मंजुरन अपने पति के ख्वाब को पूरा करने के बाद इस दुनिया से रुकसत हो गई। अपने उनके बेटे इस मस्जिद की देख-रेख करते हैं। हाईवे से आने जाने वाले लोग नजदीक होने के कारण फुटहिया गांव के इस मस्जिद मे नमाज पढ़ने के लिये आते हैं। मंजुरन की अथक मेहनत और लगन को आज भी लोग याद करते हैं। रमजान के महीने में इस मस्जिद मे लोग दूर-दूर से नमाज अदा करने के लिये पहुंचते हैं। क्योंकि मुस्लिम धर्म के लोगों को यह लगता है कि, इस मस्जिद का निर्माण मेहनत और नेक नियत से हुआ है।
input सतीश श्रीवास्तव