एड़ी पर पड़ता है असर
जब हम हाई हील वाले सैंडिल या शूज पहनकर चलते हैं तो हमारा अधिकांश वजन एड़ी पर पड़ता है और पंजा तेजी से दबता है। एक शोध के मुताबिक हाई हील पैरों के अगले हिस्से पर कृत्रिम दबाव डालती हैं जिससे एड़ी कमजोर हो जाती है। इंसान के शरीर में उसके घुटने सबसे बड़े जोड़ होते हैं। किसी शारीरिक काम में यह झुक कर एक शॉक एब्जॉर्बर (झटका सहन करने वाले) स्प्रिंग की तरह काम करते हैं। हाई हील से घुटनो पर अंदर की तरफ दबाव पड़ता है। अगर ऐसा लगातार होता रहे तो घुटनो को होने वाला नुक्सान ठीक नहीं किया जा सकता।
रीढ़ की हड्डी पर दबाव
हाई हील पेट को आगे खींचती हैं और कमर को पीछे। इससे रीढ़ की हड्डी पर भार का असंतुलन हो जाता है और कमर पर दबाव बढऩे लगता है। इससे रीढ़ के जोड़ों को क्षति पहुंचती है। हाई हील का इस्तेमाल करके मिली अतिरिक्त लंबाई हड्डियों के ढाँचे को नुक्सान करती है। जिस से हड्डी उतरने (डिसलोकेट) होना, टूटना और मांसपेशीयों को नुक्सान हो सकता है।
नसें भी होती हैं कमजोर
पैरों की पॉजिशन बदलने से जांघ की मांसपेशियां छोटी होती जाती हैं। टखनों के आसपास की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। सेंटर ऑफ गे्रेविटी आगे की ओर शिफ्ट होने से कमरदर्द होता है। पैरों में असंतुलन होने पर कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही नसें भी कमजोर होने लगती हैं। ज्यादा देर तक हाई हील पहनने से पैरों की अंगुलियों में अकडऩ हो सकती है। इसलिए जहां तक संभव हो फ्लैट स्लिपर पहनें। अगर पहननी भी पड़े तो कम समय के लिए एक से दो इंच की हील ही पहनें।