सौंदर्य

दांतों का रखें ख्याल, इससे जुड़ी हैं कई घातक बीमारियां

विभिन्न खाद्य पदार्थों (food products) में मिलावट के चलते बड़े पैमाने पर लोगों में दांतों की बीमारियां देखने को मिल रही हैंं। आपको मालूम होना चाहिए कि दांतों की बीमारियों का संबंध शरीर की अन्य बीमारियों से भी होता है?

Jan 05, 2021 / 03:35 pm

जमील खान

teeth

विभिन्न खाद्य पदार्थों (food products) में मिलावट के चलते बड़े पैमाने पर लोगों में दांतों की बीमारियां देखने को मिल रही हैंं। आपको मालूम होना चाहिए कि दांतों की बीमारियों का संबंध शरीर की अन्य बीमारियों से भी होता है?

डायबिटीज
मधुमेह (Diabetes) के रोगियों में मसूड़ों में सूजन, दांतों का ढीलापन और मुंह से बदबू आना आदि की समस्या पाई जाती है। इन रोगियों में मुंह की लार में पाए जाने वाले कीटाणु (bacteria) अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए उनके मसूड़ों और जबड़े की हड्डी में संक्रमण हो जाता है। ऐसे में दांत कमजोर हो जाते हैं। मधुमेह के रोगियों को अपना ब्लडशुगर लेबल नियंत्रण में रखना चाहिए।

उच्च रक्तचाप
इन रोगियों में मसूड़ों से खून आना, दुर्गंध और मुख में सूखापन आदि की समस्या पाई जाती है। अत: इन रोगियों को अपने रक्तचाप (blood pressure) को नियंत्रण में रखना चाहिए। हृदय रोग में होने वाले दर्द को आमतौर पर कभी-कभी दांत के दर्द से जोड़कर देख लिया जाता है, क्योंकि यह गर्दन, जबड़े, बांह, पीठ (सीने के पीछे की ओर) एवं दांत में महसूस होता है। यदि इन सभी लक्षणों के अतिरिक्त रोगी को सीने में भारीपन की शिकायत हो, तो तुरंत अपने फिजिशियन से संपर्क करना चाहिए। अक्सर अधूरे ज्ञान के कारण रोगी ऐसे में दंत चिकित्सक (dentist) के पास चला जाता है जो खतरनाक साबित हो सकता है।

मसूड़ों से मवाद आना (पायरिया) की शिकायत यदि किसी रोगी को हो और वह समय पर इलाज नहीं करवाता है, तो मुंह में लगने वाले किसी भी घाव या छाले के द्वारा मवाद में पाए जाने वाले कीटाणु रक्तवाहिनियों द्वारा उसके हृदय तक पहुंच जाते हैं एवं बैक्टीरियल इंडोकारडाइटिस रोग हो जाता है। अत: विशेषकर हृदय रोगियों को अपने दांतों एवं मसूड़ों का नियमित चेकअप करवाना चाहिए।

गर्भावस्था
गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान हॉर्मोनल (Hormonal) परिवर्तन के कारण मसूड़ों में सूजन एवं खून आने की शिकायत जिसे प्रग्नेंसी जिंजीपाइटिस कहते हैं पाई जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने दांतों का चेकअप करवाते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त अर्थराइटिस, अस्थमा (Asthma) आदि में भी दांतों का खास ध्यान रखना चाहिए। कहने का अभिप्राय है कि दांतों की बीमारियों को कभी भी हल्के में ना लें क्योंकि इससे अन्य बीमारियां भी प्रभावित होती हैं। दांतों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है जितना शरीर के अन्य अंगों का।

स्वस्थ दांतों के उपाय
हमेशा नरम बालों वाले ब्रश का उपयोग करें।

नियमित रूप से प्रात: व सोने से पूर्व ब्रश करें।

ब्रश करने में लगभग दो मिनट का समय दें। बहुत देर तक ब्रश करना दांतों के इनेमल (Enamel) के लिए हानिकारक होता है।

अच्छे फ्लोराइड (Fluoride) युक्त टूथपेस्ट का प्रयोग करें।

ब्रश को प्रत्येक चार महीने में बदल दें।

दांतों की दरारों को साफ करने के लिए डेंटल फ्लॉस अथवा मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध इंटर डेंटल ब्रश का उपयोग करें।

माउथवॉश का नियमित रूप से प्रयोग करें।

 

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