ब्यावर

राजस्थान की आलिशा बाफना का कमाल, चावल के दाने पर 18 मिनट में बनाई श्रीराम की प्रतिकृति

Replica of Lord Ram On Rice Grains : हुब्बल्ली/ब्यावर। कर्नाटक में विचरण कर रहे आचार्य पाश्रवचन्द्र एवं डॉ. पदमचन्द्र की प्रेरणा से एक बार फिर राजस्थान के पीपाड़ मूल की आलिशा बाफना उर्फ गुडिय़ां ने अपने हाथों का कमाल दिखाया है। इस बार आलिशा ने केवल 18 मिनट में चावल के दाने पर श्रीराम की प्रतिकृति बनाई है।

ब्यावरJan 20, 2024 / 05:31 pm

जमील खान

राजस्थान मूल की आलिशा बाफना का कमाल, चावल के दाने पर 18 मिनट में बनाई श्रीराम की प्रतिकृति

Replica of Lord Ram On Rice Grains : हुब्बल्ली/ब्यावर। कर्नाटक में विचरण कर रहे आचार्य पाश्रवचन्द्र एवं डॉ. पदमचन्द्र की प्रेरणा से एक बार फिर राजस्थान के पीपाड़ मूल की आलिशा बाफना उर्फ गुडिय़ां ने अपने हाथों का कमाल दिखाया है। इस बार आलिशा ने केवल 18 मिनट में चावल के दाने पर श्रीराम की प्रतिकृति बनाई है। आलिशा ने बताया कि अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसी खुशी में उसने भगवान श्रीराम की प्रतिकृति तैयार की है। मौजूदा समय में ब्यावर में रह रहीं आलिशा बाफना को पति प्रवीण घीयां का प्रोत्साहन मिला और उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया। इससे पहले भी आलिशा ने आचार्य की प्रेरणा से साल 2018 से चावल के दानों पर कई कलाकृतियां बनाई हैं।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा चुकी नाम
गुडिय़ा ने अब तक एक चावल पर महामृत्युंजय मंत्र लिख कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में एवं नवकार महामंत्र लिखकर यूनिक वल्र्ड रिकॉर्ड में अपना रिकॉर्ड कायम किया है। इसके अतिरिक्त चावल पर गायत्री मंत्र, गणेश मंत्र, गुरू स्तुति मंत्र, एक ओंकार मूल मंत्र लिखने के साथ ही इसरो का लोगो, गणेश जी एवं भाजपा का लोगो भी उकेरा है। गुडिय़ा संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी के साथ तमिल भाषा में भी चावल पर लिखती है। अपनी कला के क्षेत्र में सफलता का श्रेय वह अपने गुरुदेव के साथ ही परिवार वालों को देती है। पिछले दिनों ही आलिशा ने कर्नाटक के मोटिवेशनल स्पीकर सुजीत ललवानी से प्रेरित होकर चावल के दाने पर “राजस्थान में भाजपा तथा भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के फूल” को उकेरा था। आलिशा ब्यावर के महावीर प्रसाद बाफना की सुपुत्री है। आलिशा ने सुजीत ललवानी की एक पूरी पुस्तक को ए-फॉर साइज के पेपर में लिख दी थी। चावल के एक दाने पर सिख धर्म का मूल मंत्र एक ओंकार पंजाबी लिपि में लिखा है। आचार्य के प्रवचन से प्रभावित आलिशा जैन कहती है, जैन संत आचार्य पाŸवचंद्र महाराज, डॉ. पदमचंद्र महाराज के प्रवचन लिखते हुए काफी पेज भर जाते थे तो सोचा कि क्यों न कम पेज में लिखूं। इस विचार से छोटा लिखने की कोशिश की और एक लाइन में 2 लाइन 3 लाइन लिखते-लिखते 10 लाइन तक पहुंच गई। फिर गुरुदेव ने कहा कि चावल पर लिखने का अभ्यास करूं और परिवार में माता पिता ने भी प्रेरणा दी। आलिशा ने पियानो सीखा है। ज्योतिष सीख रही है। कभी-कभी कविताएं भी लिखती है। गुरू भक्ति गीत लिखती है। स्केचिंग भी करती है। जयमल संघ से प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में हिन्दी की प्रूफ रीडिंग का काम भी किया है।

मिल चुके कई पुरस्कार
आलिशा को कई सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं। श्री अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ ने सम्मानित किया है। अखिल भारतीय प्राच्य विद्या संस्थान और अखिल भारतीय नाथ योगी महासभा की ओऱ से सम्मानित किया गया है। श्री मकरध्वज बालाजी विश्व कल्याण ट्रस्ट, जैन संघ, अमरावती ने भी सम्मानित किया है। जयमल जैन शिविर समिति की ओर से बेस्ट हैंडराइटिंग अवार्ड दिया गया। जयमल जैन शिविर समिति की ओर से टैलेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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