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कभी था गांवों का सहारा, आज पड़ा है सूखा

locationब्यावरPublished: May 18, 2019 05:52:07 pm

Submitted by:

sunil jain

कभी था गांवों का सहारा, आज पड़ा है सूखाअमृतं जलम् अभियान : शिवनाथपुरा परवस्ती तालाबसाफ सफाई व श्रमदान की दरकार

कभी था गांवों का सहारा, आज पड़ा है सूखा

कभी था गांवों का सहारा, आज पड़ा है सूखा



ब्यावर. परवस्ती तालाब शिवनाथपुरा, आज भले ही सूखा पड़ा है, लेकिन कभी यह आस पास के सात गांवों के लिए सहारा था। आवक के रास्ते अवरूद्ध होने के कारण पानी की आवक कम हो गई और वर्तमान में यहां पर साफ सफाई व श्रमदान की दरकार है। दुर्दशा के शिकार इस तालाब में पानी की पूरी आवक करीब पैतीस साल पहले हुई और यह तालाब लबालब हो गया। उसके बाद यहां पर कभी इतनी पानी की आवक नहीं हुई कि यह भर सके। ग्रामीणों ने बताया कि लोगों ने बताया कि पानी की आवक के रास्तों में नाडिया बन जाने से पानी की आवक कम हुई है। अगर यहां पर साफ सफाई कर खुदाई कर श्रमदान किया जाए तो कम से कम इंसान व पशुओं के लिए पानी एकत्र हो सकता है। साथ ही आस पास के कुओं में पानी रिचार्ज हो सकेगा। ग्रामीण करणसिंह ने तालाब के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि यह आस पास के सात गावों गणेशपुरा, गोविन्दपुरा, केसरपुरा, शिवनाथपुरा, जालिया, भोजपुरा, ठीकराना गांव के लिए सहारा होने के कारण इसका नाम परवस्ती तालाब पड़ा। अगर यहां की साफ सफाई हो और खुदाई हो जाए तो फायदा ही मिलेगा। सरपंच कानाराम गुर्जर ने बताया कि तालाब की सुध नियमित रूप से ली गई है और पाल को भी पूर्व में दुरुस्त करवाया गया।
कचरे से अटी मोरियां
परवस्ती तालाब की बनी मोरियों मं झाड़ झंखार उगे हुए है। इसके चलते तालाब के आव क्षेत्र में अवरोध बन गया। इसके अलावा शहर का विस्तार होने के साथ ही कई कॉलोनियां आबाद हो गई। इसके चलते पानी आव क्षेत्र बंद हो गए। कचरे से अटी मोरिया की समय पर सफाई नहीं हो सकी। इसके चलते कई मोरिया तो बंद हो गई। जो मोरिया व नाले बचे है। वों भी मिट्टी से अटे पड़े है।
(कासं)
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