कुपोषण उपचार केन्द्र में बच्चों को खेलने के लिए खिलौने आदि की व्यवस्थाएं भी है। लेकिन जहां पर कुपोषण उपचार केन्द्र खोला गया है, वहां पर प्ले एरिया ही नहीं है। एेसे में यह सुविधा होने के बावजूद बच्चों को यह सुविधा नहीं मिल रही। हालाकिं अस्पताल प्रशासन नई जगह पर केन्द्र खोलने की व्यवस्था पर विचार कर रहा है और वहां पर प्ले एरिया भी विकसित किया जाएगा।
कुपोषण उपचार केन्द्र में बच्चे के भर्ती होने पर एक अभिभावक को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि का भुगतान अस्पताल प्रबन्धन की ओर से किया जाता है। इसके बावजूद भी कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए लोग जागरूक नहीं है। यही कारण है कि अस्पताल के केन्द्र में आने वाले बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन घट रही है।
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि कुपोषण उपचार केन्द्र पर वे ही बच्चे आते है, जिनको अमृतकौर चिकित्सालय में चिकित्सकों ने जांच के बाद कुपोषित घोषित किया। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाड़ी केन्द्रों से कोई बच्चे नहीं आते। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी ओर से बच्चे केन्द्र के लिए भेजे जाते है, हालाकिं इनकी संख्या कम है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल के मदर चाइल्ड विंग में एक अलग से पिडिट्रिक वार्ड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें एक करोड़ से अधिक की लागत आएगी। इस वार्ड में ३५ बेड चिल्ड्रन वार्ड व १५ बेड कुपोषण उपचार केन्द्र के लिए होंगे। केन्द्र के लिए यहां प्ले एरिया भी विकसित करने की योजना है। इस का निर्माण होने के बाद यहां बच्चों की संख्या बढऩे की उम्म्ीद है।
कुपोषण केन्द्र में वही बच्चे भर्ती होते है, जो उपचार के लिए आते है। इनकी संख्या कम है। अभी कोई नहीं, इसलिए बंद है। आंगनबाड़ी केन्द्रों से कोई बच्चे रेफर होकर नहीं लाए जाते। अगर वहां से आए तो केन्द्र उपयोगी होगा। फिलहाल यहां पर प्ले एरिया नहीं है। नया बनाने का चल रहा है, अगर हो गया तो उपचार के साथ सुविधा भी मिल सकेगी।
डॉ.एम.एस.चांदावत, प्रभारी, कुपोषण उपचार केन्द्र, एकेएच ब्यावर
नितेश यादव, महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी, ब्यावर व जवाजा