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सामान्य वर्ग के दावेदारों का सपना हुआ धूमिल

locationब्यावरPublished: Oct 20, 2019 07:25:05 pm

Submitted by:

sunil jain

दस साल पहले जैसी स्थिति, एससी के लिए आरक्षित सभापति पद
जयपुर में निकली लॉटरी, धरी रह गई अन्य वर्ग के दावेदारों की तैयारी, राजनैतिक हलचल तेज

दस साल पहले जैसी स्थिति, एससी के लिए आरक्षित सभापति पद

दस साल पहले जैसी स्थिति, एससी के लिए आरक्षित सभापति पद


ब्यावर. नगरपरिषद में सभापति पद अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है और इसके लिए रविवार को लॉटरी जयपुर में निकली। लॉटरी निकलने के साथ ही राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। भाजपा व कांग्रेस, दोनों ही दलों में सामान्य वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग से दावेदारों की तैयारी धरी की धरी रह गई है। दस साल पहले २००९ में भी नगरपरिषद सभापति का पद अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित था। २०१४ में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ। एेसे मेंं इस बार सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को आस थी लेकिन उनका सभापति बनने का सपना लॉटरी निकलने के साथ ही धूमिल हो गया। गौरतलब है कि वर्ष २००९ से २०१४ के कार्यकाल में ब्यावर नगरपरिषद सभापति का पद अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित था और जनता ने सीधे सभापति के लिए मतदान किया। इसमें कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. मुके श मौर्य ने भाजपा प्रत्याशी चेतन गोयर को करीब सोलह हजार मतों से हराया। मई २०१४ तक मुकेश मौर्य सभापति रहे और बाद में तत्कालीन भाजपा सरकार ने उनका निलम्बन कर लेखराज कंवरिया का सभापति पद पर मनोनयन किया। २०१४ के चुनाव में सभापति पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ और जनता के बजाय पार्षदों ने सभापति चुना। इसमें बबीता चौहान सभापति चुनी गई। अगस्त २०१८ में चौहान रिश्वत प्रकरण में पकड़ी गई और सरकार ने उनका निलम्बन कर दिया। इसके बाद सरकार ने शशि सोलंकी, कमला दगदी, मेमूना बानो, फिर कमला दगदी का मनोनयन किया और वर्तमान में कमला दगदी सभापति है।

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