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सीमाज्ञान हो तो पता चले, कहां से कहां तक है जमीन?

locationब्यावरPublished: Dec 07, 2019 12:46:17 pm

Submitted by:

sunil jain

राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय : 68 साल बाद नाम हुई जमीन,6 माह बाद भी नहीं हुआ सीमाज्ञान

सीमाज्ञान हो तो पता चले, कहां से कहां तक है जमीन?

सीमाज्ञान हो तो पता चले, कहां से कहां तक है जमीन?


ब्यावर. राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय की स्थापना के करीब 68 साल बाद जमीन ६ माह पहले नाम तो हो गई, लेकिन अस्पताल की जमीन कहां से कहां तक है, यह पता नहीं है। इसका कारण अमृतकौर चिकित्सालय प्रबन्धन की अनदेखी के कारण अब तक सीमाज्ञान नहीं हो पाना है। हालाकिं प्रशासन का दावा है कि जल्द ही सीमाज्ञान कराकर अस्पताल जमीन की सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए जाएंगे। अमृतकौर चिकित्सालय की स्थापना 1955 में हुई। इस अस्पताल की नींव तीन अप्रेल 1954 को तत्कालीन केन्द्र की चिकित्सा मंत्री राजकुमारी अमृतकौर ने रखी। इस अस्पताल का उद्घाटन 1955 में केन्द्रीय मंत्री गुलजारीलाल नंदा ने किया। छह दशक से यह अस्पताल पाली, राजसमंद, भीलवाडा व नागौर जिले के ब्यावर से सटे क्षेत्रों के लोगों के स्वास्थ्य का गवाह बना। समय के साथ ही इस अस्पताल का आउटडोर बढ़ता गया। इसका शुरुआत में आउटडोर सैकड़ों में था जो अब करीब डेढ हजार के करीब पहुंच चुका है। इतना लम्बा समय बीतने के बावजूद अब तक जिस जमीन पर अस्पताल का निर्माण हो रखा है। वो जमीन अस्पताल के नाम नहीं चढ़ सकी। जबकि इन सालों में कई जनप्रतिनिधियों के चेहरे बदल गए। अस्पताल के भवन की न तो सुध ली एवं न ही जमीन अस्पताल के नाम करने में कोई दिलचस्पी दिखाई। इसी साल तत्कालीन जिला कलक्टर के अस्पताल के निरीक्षण के दौरान यह मामला उठा। ऐसे में जिला कलक्टर ने 29 जनवरी को इस संबंध में पत्र लिखा। इसके बाद इससे संबंधित ही एक पत्र आठ मार्च को वापस सरकार को भिजवाया गया। इसके आधार पर शासन उप सचिव कमलेश आबुसरिया ने जून २०१९ में जमीन को करीब अड़सठ साल बाद अमृतकौर अस्पताल के नाम आवंटित करने के आदेश जारी किए। इसके बाद उम्मीद बंधी की जमीन की वास्तविक स्थिति जल्द पता हो जाएगी और अस्पताल प्रशासन इस जमीन की चारदीवारी कर सुरक्षित कर सकेगा। इस बात को छह माह बीत गए है लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से चारदीवारी कर सुरक्षा करना तो दूर सीमाज्ञान तक नहीं कराया गया।
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इनका कहना है…
अस्पताल प्रबन्धन की ओर से एक बार सम्पर्क किया गया और उसके बाद उनके यहां बाहर से टीम आदि जांच के लिए आ गई। उसके बाद सम्पर्क नहीं किया। -रमेश बहडि़या, तहसीलदार, ब्यावर
सालों बाद अस्पताल के नाम जमीन हुई है और सीमाज्ञान कराना भी जरूरी है। इसके लिए सीमाज्ञान जल्द कराकर जमीन के सुरक्षा के बंदोबस्त किए जाएंगे।-डॉ. आलोक श्रीवास्तव, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एकेएच ब्यावर

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