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सर्द हवाओं के थपेड़े सहने को मजबूर यात्री

locationब्यावरPublished: Jan 19, 2020 04:37:30 pm

Submitted by:

sunil jain

सर्द हवाओं के थपेड़े सहने को मजबूर यात्रीरोडवेज बसों के टूटे काच व लॉक, शिकायत के बावजूद नहीं ली जा रही सुध

सर्द हवाओं के थपेड़े सहने को मजबूर यात्री

सर्द हवाओं के थपेड़े सहने को मजबूर यात्री


ब्यावर. यदि आप रोडवेज की बस में सर्दी के इस मौसम में सफर करने का मानस बना रहे हैं और यदि विंडो सीट मिली है तो फिर आप सर्द हवाओं के थपेड़े सहने को भी तैयार रहिए, क्योंकि रोडवेज की कईं बसों के खिड़की में कांच तो है लेकिन किसी के लॉक या तो टूटे हैं या फिर ढीले हैं। ऐसे में विंडो सीट पर बैठने वालों को लॉक ढीला या टूटा होने की वजह से बार-बार खुलते कांच को बंद करने की ही मशक्कत करनी पड़ती है। रोडवेज प्रबंधन को लॉक के बार-बार खुलने या टूटे होने की शिकायत मिलती भी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। यात्री बजरंग लाल व सविता देवी ने बताया कि वे जोधपुर से ब्यावर व अजमेर डेली अप डाउन करते है। कई बार ऐसी बसें मिल जाती है, जिनके काच भले ही बंद कर दो लेकिन थोड़ी दूर जाते ही फिर खिड़की के शीशे खुलने लगते है। बार बार बंद करते है लेकिन इनका खुलना बंद नहीं होता। इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। पूर्व में खिड़की के शीशे के लॉक लोहे या एल्युमीनियम के थे, मगर अब जो नई बसें आ रही है, उनमें लॉक प्लास्टिक के लगे हैं। जो एल्युमीनियम की अपेक्षा कम टिकाऊ है। सर्दी का मौसम है और अभी तो इन बसों में सर्द हवाओं के थपेड़े सहन करने को मजबूर होना पड़ता है। प्रशासन को इसकी सुध लेनी चाहिए।
टूटी पड़ी सीटें, पसरी गंदगी
रोडवेज की कुछ बसों की सीटें भी खस्ताहाल है। जिन पर बैठकर आराम से सफर की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। इन बसों में सफर करने में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इनका कहना है…
ब्यावर आगार की सभी बसों में खिड़कियां दुरुस्त है और सीटें भी सही है। यात्रियों की शिकायत मिलती है या फिर बसों की चेकिंग के दौरान एेसा कुछ सामने आता है तो तुरन्त दुरस्त करा देते है।
रघुराजसिंह राजावत, मुख्य प्रबन्धक, रोडवेज आगार ब्यावर
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