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‘लॉक हुआ ‘प्रदूषण, ‘डाउन हुई ‘डेथ

locationब्यावरPublished: Apr 06, 2020 12:44:35 pm

कोरोना अलर्ट से निकली अच्छी खबरलॉक डाउन का असर : अमृतकौर चिकित्सालय में प्रतिदिन होते थे 30-35 प्रसव, घटकर संख्या रह गई 15 से 20, मिनरल यूनिट बंद होने से अजमेर रोड पर नजर आने वाली डस्ट गायब, थानों में घटे मामले, सड़क पर नहीं हुआ एक भी हादसा

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‘लॉक हुआ ‘प्रदूषण, ‘डाउन हुई ‘डेथ

ब्यावर. प्रदेश में लॉक डाउन हुए बारह दिन का समय बीत गया है। इस दौरान लोगों को खासी परेशानी का सामना भी करना पड़ा लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए है। लॉक डाउन के चलते औद्योगिक इकाइयों से होने वाला प्रदूषण कम हो गया है। वाहनों की आवाजाही नहीं होने से लोग अब प्रसव भी अपने आस-पास के अस्पताल में ही करवाने लगे है। अमृतकौर चिकित्सालय की मदर चाइल्ड विंग में प्रतिदिन औसत से 30 से 35 प्रसव होते थे। इनकी संख्या घटकर अब 15 से बीस प्रसव तक रह गई है। इसी अनुपात से सिजेरियन प्रसव की संख्या का ग्राफ भी गिरा है। क्षेत्र में चलने वाली मिनरल यूनिट व अन्य औद्योगिक इकाईयों से के कारण वातावरण में घुलने वाली डस्ट भी नजर नहीं आ रही है। लॉक डाउन के चलते अधूरे पड़े ब्यावर-गोमती मार्ग पर आए दिन हादसे होते थे। इन 12 दिन में एक भी हादसा नहीं हुआ। न ही क्षेत्र में कोई अपराध हुआ है। क्षेत्र के थाना हल्कों में गिने चुने मामले दर्ज हुए है। प्रदेश में लॉक डाउन के 12 दिन हो चुके है। इन बारह दिन में लोग घरों से बाहर निकलने वालों की संख्या कम हुई हे। यहीं कारण है कि पिछले बारह दिन में शहर, सदर, जवाजा, टॉडगढ, मसूदा सहित अन्य थानों में गिनती के प्रकरण दर्ज हुए है। लॉक डाउन के चलते अपराध कम हो गए है। ब्यावर गोमती राजमार्ग पर अधूरे काम के चलते आए दिन हादसे होते थे। पिछले तीन माह में यह क्षेत्र में हादसों को लेकर सबसे कुख्यात राजमार्ग रहा। फरवरी माह में करीब तीस से अधिक लोगों की जान गई। इनमें कुछ परिवारों की तो खुशियां ही उन लोगों के साथ चल बसी। इस राजमार्ग पर पिछले 12 दिन में एक भी हादसा नहीं हुआ। न ही किसी की जान गई। अमृतकौर चिकित्सालय के ट्रोमा वार्ड में आने वालों की संख्या गिनी-चुनी रह गई। ब्यावर गोमती राजमार्ग पर ब्यावर सदर, जवाजा, भीम, देवगढ़ व दिवेर थाना क्षेत्र का हल्का आता है। इस राजमार्ग पर आए दिन सड़क हादसे हो रहे थे। लॉक डाउन शुरु होने के बाद सड़क हादसे थम गए।अपराध का ग्राफ गिरालॉक डाउन के दौरान अपराध के आंकड़ों मे भी गिरावट आई है। थानों में दर्ज होने वालों प्रकरणों की संख्या भी कम हुई है। शहर थाना पुलिस में लॉक डाउन शुरु होने के बाद रविवार तक महह आठ, सदर थाना पुलिस में तीन, जवाजा थाना पुलिस में तीन, टॉडगढ़ थाना पुलिस में शून्य प्रकरण दर्ज हुए है। जबकि शहर थाना पुलिस में प्रतिदिन औसत पांच से लेकर 15 तक प्रकरण दर्ज होते है। इसी प्रकार सदर व जवाजा थाना प्रतिदिन औसत पांच से छह प्रकरण दर्ज होते है। अब नहीं दिखती डस्ट की लहरआम दिनों में औद्योगिक क्षेत्र में डस्ट की एक लहर सी नजर आती है। इन दिनों डस्ट की यह लहर नजर नहीं आ रही है। अलग-अलग क्षेत्रों में उड़ता हुआ धुंआ व मिट्टी दोनों ही नजर नहीं आ रही है। प्रदूषण कम होने से लोगों को स्वच्छ हवा मिल रही है। क्षेत्र में एक हजार से अधिक मिनरल यूनिट संचालित है। इसके अलावा अन्य औद्योगिक इकाइया भी संचालित हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड किशनगढ़ ने तो ब्यावर को प्रदूषण अधिक मानते हुए अब नई यूनिट नहीं लगाए जाने की पूर्व में अनुशंषा भी कर चुका है। कम हुई किलकारियां…अमृतकौर चिकित्सालय की मदर चाइल्ड विंग में प्रसव का खासा दबाव रहता है। जिले में जनाना अस्पताल अजमेर के बाद सबसे अधिक प्रसव अमृतकौर चिकित्सालय में ही होते है। यहां पर औसत 30 से 35 प्रसव प्रतिदिन होते है। इनकी संख्या घटकर अब 15 से बीस रह गई है। लॉक डाउन के चलते वाहनों की आवाजाही कम हो गई है। जिले की सीमाओं पर रोक लगा दी गई है। जबकि अमृतकौर चिकित्सालय में पाली, भीलवाड़ा व राजसमंद जिले की गर्भवती महिलाएं भी आती है। ब्यावर सीमा के खत्म होते ही पश्चिम की ओर पाली जिला शुरु हो जाता है। इसी प्रकार भीलवाड़ा जिले के बदनोर सहित आस-पास के क्षेत्र, राजसमंद जिले के भीम उपखंड के ब्यावर से सटे गांवों के गर्भवती महिलाएं अमृतकौर चिकित्सालय में आती है। सीमाओं पर आवाजाही रोक देने से यह अमृतकौर चिकित्सालय में नहीं आ पा रही है। ऐसे में अपने आस-पास की पीएचसी एवं सीएचसी पर प्रसव करवा रहे है। ऐसे ही सिजेरियन प्रसव के आंकड़े भी कम हुए है।

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