अंडे नहीं दे सकते, इसलिए खतरे से बाहर टिड्डी नियंत्रण दल के अधिकारी गोकुलराम व राजेश चौधरी ने बताया कि टिड्डी दल से यहां अधिक खतरा नहीं है। टिड्डी दल ने पहाडिय़ों पर डेरा डाला है। इस समय इनके अंडे देने का समय नहीं है। टिड्डी दल रेतीली जमीन में अंडे देते है। ऐसे में यहां पहाड़ी क्षेत्र में अंडे नहीं दे सकते है। ऐसे में यहां कोई चिंता जैसी स्थिति नहीं है। टिड्डी दल के पीछे निरन्तर टीम चल रही है। इनको खत्म करना ही उनका उदेश्य है।
अलग-अलग स्थानों से पहुंचे सदस्य टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए टिड्डी नियंत्रण दल के सदस्य अलग-अलग स्थानों से पहुंचे है। संयुक्त रुप से गठित टीम में जालोर, सिरोही व जोधपुर के अधिकारी शामिल रहे। सदस्य एक विशेष प्रकार का केमीकल लेकर पहुंचे। इसका इन टिड्डी दल पर छिड़काव किया गया। इनका कहना था कि जो इस रसायन छिड़काव के क्षेत्र में आ गई। वों टिड्डी उड भी जाती है तो बीस मिनट में मर जाएगी।पाली जिले के गांवों में भी किया छिड़कावराहत व बचाव दल ने फतहगढ सल्ला के अलावा इसका पीछा करते हुए पाली जिले के रेलड़ा, रातडिया, प्रतापगढ़, सुमेल, चांग, बूटीवास के गांवों की ओर पहुंचे। यहां पर भी दल की ओर से इन पर छिड़काव किया गया। ताकि इन पर काबू पाया जा सके। टिड्डी दल बड़ा होने से इनका पीछा करते हुए नियंत्रण दल लगातार इनका पीछा कर रहा है।
बड़ा ही फूर्तिला एवं लम्बी उडान भरता है टिड्डी दल टिड्डी नियंत्रण दल के राजेश चौधरी ने बताया कि टिड्डी बडी ही फुर्तिले होती है। यह एक बार उतरने के बाद वहां पर जो खाने को मिलता है। उसको चट कर जाते है। रात्रि में एक बार उतरने के बाद उडान नहीं भरते है। सुबह सूरज उगने पर ही खाने के बाद आगे की ओर उडान भरते है। यह पिंक रंग का टिड्डी दल है।
पाली जिले में सब्जियां की चट..टिड्डी दल ने पाली जिले से भी गुजरी। जानकारी अनुसार इस दल ने ग्राम रेलड़ा, रातडिया, प्रतापगढ़, सुमेल, चांग, बूटीवास में सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचाया है। इन गांवों से अधिकांश सब्जियां ब्यावर में ही बिक्री के लिए आती है। ऐसे में आने वाले दिनों में इन गांवों से आने वाली सब्जियों की आवक कम हो सकती है।