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एक साल से गहन चिकित्सा इकाई पर लटका है ताला

locationब्यावरPublished: Jul 15, 2020 04:57:30 pm

Submitted by:

Bhagwat

अमृतकौर चिकित्सालय की मदर चाइल्ड विंग का मामला, सेंट्रलाइज ऑक्सीजन व्यवस्था होने के बावजूद नहीं हो रहा उपयोग, जबकि प्रतिदिन बीस से 25 प्रसव होते है, यूनिट तो बना दी लेकिन अब तक नहीं मिल सके संसाधन, चार पलंग पर एक ही मोनिटर की व्यवस्था

एक साल से गहन चिकित्सा इकाई पर लटका है ताला

एक साल से गहन चिकित्सा इकाई पर लटका है ताला

ब्यावर. अमृतकौर चिकित्सालय की गहन चिकित्सा इकाई पर पिछले एक साल से अधिक समय से ताला लटका है। इसमें भर्ती होने वाली प्रसूताओं के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था है। गहन चिकित्सा इकाई के बंद होने से यह सुविधा प्रसूताओं को नहीं मिल पा रही है। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अमृतकौर चिकित्सालय में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवतियों का खासा दबाव रहता है। उपखंड क्षेत्र के अलावा भीलवाड़ा, पाली, राजसमंद जिलों के ब्यावर से जुड़े क्षेत्रों की गर्भवती को यहां पर प्रसव के लिए लाया जाता है। यहां पर औसत प्रतिदिन 20 से 25 प्रसव होते है। इस दबाव को देखते हुए यहां पर मदर चाइल्ड विंग की स्थापना की गई। ताकि जच्चा व बच्चा को बेहतर चिकित्सा एवं बेहतर सुविधा मिल सके। यहां पर लाखों रुपए की लागत से निर्माण किए जाने के बावजूद अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते कई संसाधनों का उपयोग ही नहीं हो रहा है। यह संसाधन पड़े-पड़े खराब हो रहे है।
सेंट्रलाइज ऑक्सीजन की सुविधा…

मदर चाइल्ड विंग की गहन चिकित्सा इकाई में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम लगा हुआ है। ताकि गर्भवती एवं प्रसूताओं को बेहतर सुविधा मिल सके। सेंट्रलाइन ऑक्सीजन सिस्टम की लाइन डाली है। इससे प्रत्येक पलंग तक ऑक्सीजन की सुविधा एवं पैनल लगा रखा है। इस इकाई पर ही ताला लटका होने से लाखों रुपए की लागत से शुरु की गई सुविधाओं का लाभ प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा है।
जरुरत पडऩे पर सिलेंडर से लगाते ऑक्सीजन

मदर चाइल्ड विंग में अगर किसी प्रसूता या गर्भवती को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है तो सिलेंडर लाकर ऑक्सीजन लागई जाती है। इसमें सिलेंडर ले जाने एवं लगाने में समय लगता है। जबकि गहन चिकित्सा इकाई में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम का उपयोग किया जाए तो भर्ती प्रसूताओं को बेहतर सुविधा मिल सकती है। अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते सुविधा होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। यह सिस्टम पड़ा-पड़ा ही बेकार हो रहा है।
इनका कहना है…

चार पलंग है। जबकि एक मोनिटर अब मिला है। जबकि चार मोनिटर की आवश्यकता है। इसके अलावा स्टाफ की भी कमी है। संसाधनों की कमी के कारणों इसको शुरु नहीं कर सके। गहन चिकित्सा इकाई के लिए स्टाफ की भी अलग आवश्यकता है। संसाधन मिलने पर अब शुरु करेंगे।
-डॉ. विद्या सक्सेना, प्रभारी, मदर चाइल्ड विंग, अमृतकौर चिकित्सालय

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