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पहले लॉक डाउन ने तोड़ा, अब बरसात कर रही परेशान

locationब्यावरPublished: Aug 06, 2020 10:20:53 am

Submitted by:

Bhagwat

दो बार करनी पड़ी बुवाई, अब कम बरसात ने बढ़ाई चिंताछोटी जोत होने एवं बरसात नहीं होने से काश्तकारों को उपज कम मिलने के आसार कम है, इसकी चिंता काश्तकारो को सता रही है

पहले लॉक डाउन ने  तोड़ा, अब बरसात कर रही परेशान

पहले लॉक डाउन ने तोड़ा, अब बरसात कर रही परेशान

ब्यावर. मगरा क्षेत्र में बुवाई का रकबा कम है। ऐसे में काश्तकारों को उपज कम मिलती है। क्षेत्र के काश्तकार दो फसल ही ले पाते है। ऐसे में काश्तकारों की आजिविका के लिए दूसरा काम भी करना पड़ता है। इस बार लॉक डाउन में दूसरा काम भी नहीं मिला। ऐसे में काश्तकारों की आय पर असर पड़ा। बुवाई के बाद बीज के अंकुरित नहीं होने दोबारा बुवाई करनी पड़ी। ऐसे में काश्तकारों की माली हालत पर भी असर पड़ा। ऐसे में अब काश्तकारों को सरकार से आशा है कि उन्हें सरकार से राहत मिलेगी। लॉक डाउन के चलते लोग रोजगार के लिए भी बाहर नहीं जा सकी। इस बार बरसात का आंकड़ा भी कम रहा है। जनवरी से अब तक 152 एवं जून से अब तक 111 एमएम बरसात ही हुई है। जबकि जवाजा क्षेत्र में अब तक 103 एमएम बरसात दर्ज की गई है।
इनका कहना है…

पहले बरसात हुई तो काश्तकारो ंने बुवाई कर दी। इसके बाद हल्की बरसात से मिट्टी पर परत आ गई। इसके चलते बीज अंकुरित नहीं हो सका। इसके बाद बरसात नहीं हुई। ऐसे में काश्तकारों ने वापस बुवाई की। अब काश्तकारों ने खुदाई की। अब बरसात नहीं होने से फसल मर गई। ऐसे में काश्तकारों को नुकसान हो गया। इसके लिए सरकार को छोटे काश्तकारों को उभारने के लिए योजना बनानी चाहिए।-
बाबूसिंह, काश्तकार

मगरा क्षेत्र में छोटे काश्तकार है। इनके पास जमीन कम है। बरसात कम होने से फसलें बढ़ी नहीं है एवं मरने भी लगी है। ऐसे में काश्तकारों का अच्छी उपज मिलने के आसार कम है। ऐसे छोटे काश्तकारों के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए। अधिकांश काश्तकारों का काम मनरेगा के भरोसे चल रहा है।
-प्रेमसिंह, काश्तकार, कालिंजर

क्षेत्र के काश्तकार दो ही फसल ले पाते है। बरसात कम होने से कई काश्तकारों को दो बार बुवाई करनी पड़ी। लॉक डाउन के चलते इस बार काश्तकार अन्य काम भी नहीं कर सके। ऐसे में उनकी आजिविका पर असर पड़ा। हालांकि मनरेगा में काम किया। लेकिन इससे उनका घर खर्च ही चल सकेगा।
-हरदेवङ्क्षसह, काश्तकार, काबरा

क्षेत्र में खेत छोटे है। अधिकांश पथरीला क्षेत्र है। इससे उपज कम होती है। ऐसे में उपज कम होती है। बरसात कम होने से काश्तकारों का खेती की ओर रुख कम हो रहा है। ऐसे में मगरा क्षेत्र में कृषि के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए अलग से योजना बनाई जानी चाहिए।
-लक्ष्मणसिंह, काश्तकार, काबरा

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