इनका कहना है… पहले बरसात हुई तो काश्तकारो ंने बुवाई कर दी। इसके बाद हल्की बरसात से मिट्टी पर परत आ गई। इसके चलते बीज अंकुरित नहीं हो सका। इसके बाद बरसात नहीं हुई। ऐसे में काश्तकारों ने वापस बुवाई की। अब काश्तकारों ने खुदाई की। अब बरसात नहीं होने से फसल मर गई। ऐसे में काश्तकारों को नुकसान हो गया। इसके लिए सरकार को छोटे काश्तकारों को उभारने के लिए योजना बनानी चाहिए।-
बाबूसिंह, काश्तकार मगरा क्षेत्र में छोटे काश्तकार है। इनके पास जमीन कम है। बरसात कम होने से फसलें बढ़ी नहीं है एवं मरने भी लगी है। ऐसे में काश्तकारों का अच्छी उपज मिलने के आसार कम है। ऐसे छोटे काश्तकारों के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए। अधिकांश काश्तकारों का काम मनरेगा के भरोसे चल रहा है।
-प्रेमसिंह, काश्तकार, कालिंजर क्षेत्र के काश्तकार दो ही फसल ले पाते है। बरसात कम होने से कई काश्तकारों को दो बार बुवाई करनी पड़ी। लॉक डाउन के चलते इस बार काश्तकार अन्य काम भी नहीं कर सके। ऐसे में उनकी आजिविका पर असर पड़ा। हालांकि मनरेगा में काम किया। लेकिन इससे उनका घर खर्च ही चल सकेगा।
-हरदेवङ्क्षसह, काश्तकार, काबरा क्षेत्र में खेत छोटे है। अधिकांश पथरीला क्षेत्र है। इससे उपज कम होती है। ऐसे में उपज कम होती है। बरसात कम होने से काश्तकारों का खेती की ओर रुख कम हो रहा है। ऐसे में मगरा क्षेत्र में कृषि के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए अलग से योजना बनाई जानी चाहिए।
-लक्ष्मणसिंह, काश्तकार, काबरा