आडी-तिरछी सड़के, छत पर सवारी….
ब्यावरPublished: Oct 20, 2021 03:01:57 pm
ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के साधन नहीं होने से हो रही परेशानी, हर रुट पर निजी वाहन संचालकों की मनमानी
आडी-तिरछी सड़के, छत पर सवारी….
ब्यावर. शहर के आस-पास करीब तीस से चालीस किलोमीटर दायरे के लोग प्रतिदिन शहर में मजदूरी करने एवं अन्य काम से आते है। दूरदराज आबाद इन गांवों से शहर तक आने के लिए वाहनों का अभाव है। अधिकांश रुट पर रोडवेज बसें संचालित ही नहीं हो रही है। संचालित हो भी रही तो इनकी संख्या एक-दो ही है। ऐसे में ग्रामीणों को निजी वाहनों के जरिए यात्रा करनी पड़ रही है। इन वाहन संचालकों की एकजुटता के चलते क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर यात्रा करवा रहे है। ऐसे में जीवन को संकट में डालकर यात्रा करना ग्रामीणों की मजबूरी बन गई है। पुलिस प्रशासन व परिवहन विभाग की चुप्पी के चलते निजी वाहन चालकों की मनमानी बढ़ गई है। ग्रामीण बस सेवा की कमी होने एवं आस-पास के गांवों में बस सेवा का रुट नहीं होने से ग्रामीण जीप, टेम्पो व ऑटो पर निर्भर है। अन्य कोई साधन नहीं होने से यह निजी वाहन चालक क्षमता से अधिक सवारियां बैठा रहे है। हालात यह है कि जीप व टेम्पो की छत पर आठ से दस तक लोगों को बैठाया जा रहा है। ग्रामीण मजबूरी में जीवन को संकट में डाल यात्रा कर रहे है। इसके बावजूद परिवहन विभाग व यातायात पुलिस इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। शहर के पास गिरी नांदणा, ब्यावर खास, रुपनगर, सुहावा, देलवाडा, नीमगढ, सेंदडा, कोटडा-काबरा, अतीतमंड सहित अन्य गांवों के लोग प्रतिदिन शहर में काम करने एवं खरीदारी करने आते है। इन गांवों में ग्रामीण परिवहन सेवा की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को निजी वाहनों में ही यात्रा करनी पड़ रही है। जबकि कई बार हादसे हो चुके है। इसके बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।इस रुट की स्थिति बेहद खराबगिरी नांनणा, बाबरा, रास, मसूदा मार्ग, कोटड़ा काबरा मार्ग सहित अन्य मार्गो पर रोडवेज बस सेवाए बेहद कम है। भीम मार्ग को छोडकर अन्य रुट पर रोडवेज बस सेवा की संख्या इक्की-दुक्की ही है। ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरी में निजी वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है। इसी का फायदा उठाकर निजी वाहन संचालकों ने एकजुटता कर ली है। जब तक क्षमता से अधिक सवारियां नहीं बैठ जाती है। तब तक वाहन नहीं चलाते है। ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरी में इन वाहनों में सांसों को संकट में डालकर यात्रा करना मजबूरी है।