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खेतों में भूखंडों की ‘पैदावार’, खाका तैयार कर रहे जिम्मेदार

locationब्यावरPublished: Jun 22, 2022 01:22:59 pm

Submitted by:

Bhagwat

कृषि भूमि पर तेजी से कट रही कॉलोनियां, नहीं हो रहा नियमन, तहसील प्रशासन ने करवाया सर्वे, 150 से अधिक प्रकरण तैयार, आधी अधूरी सुविधाएं के साथ कॉलोनी काट कूट रहे चांदी

खेतों में भूखंडों की ‘पैदावार’, खाका तैयार कर रहे जिम्मेदार

खेतों में भूखंडों की ‘पैदावार’, खाका तैयार कर रहे जिम्मेदार

ब्यावर. शहर के पैराफेरी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर तेजी से कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। पैरा-फेरी क्षेत्रों पर मनमाने तरीके से कॉलोनियां काटने से सुविधाओं का अभाव है। मनमाने तरीके से बस रही कॉलोनियों को लेकर प्रशासन ने संबंधित हल्का पटवारियों से सर्वे कर रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद करीब डेढ सौ से अधिक ऐसी कॉलोनियों सामने आई हैं, जो कृषि भूमि पर विकसित की जा चुकी हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद कृषि भूमि पर कॉलोनियां काट भूख्डं बेचने के मामलों में मंदी आई है। इस तरह के भूखंडों का पंजीयन पर विराम लग गया है, जबकि नगर परिषद की ओर से ऐसी कॉलोनियों का नियमन करने की गति कछुआ चाल की है। इसके चलते खरीदर परेशान होते हैं। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में कृषि भूमि पर कॉलोनियां विकसित करने का कारोबार पिछले कुछ साल में तेजी से बढा है। नए कॉलोनियां विकसित कर भूखंड बेचने में अच्छी आय होने से यह कारोबार दिनों-दिन फल फूल रहा है। जिस गति से कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। उसके अनुरूप नगर परिषद में कॉलोनियां के लेआउट स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं। इसके चलते खरीदारों को परेशानी हो रही है। इसको देखते हुए प्रशासन ने क्षेत्र के सभी पटवारियों से कृषि भूमि पर विकसित हो रही कॉलोनियों का सर्वे कर रिपोर्ट मांगी है। इसके तहत अब तक डेढ सौ से अधिक ऐसी कॉलोनियों का सर्वे कर रिपोर्ट तहसील प्रशासन को दी है। राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1956 की धारा 177 के तहत तहसीलदार की ओर से उपखंड कार्यालय में वाद एवं स्थगन प्रार्थना पत्र दायर किए गए।
लम्बे समय से चल रहा है कारोबार

कृषि भूमि पर कॉलोनियां विकसित करने का कारोबार लम्बे समय से चल रहा है। स्थिति यह है कि ऐसी कई कॉलोनियां विकसित हो चुकी हैं। अब तक नियमन नहीं हो सका है। नगर परिषद प्रशासन की ओर से ऐसी कॉलोनियां का सर्वे कराया गया। इनमें अधिकांश कॉलोनियों का अब तक लेआउट स्वीकृत नहीं हो सका है। इसके चलते भूखंड खरीदने वालों को अब तक पट्टे नहीं मिल सके हैं।
नहीं मिल पाई आशातीत सफलता

शहर में कई कॉलोनियां विकसित हो चुकी हैं। प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे जारी करने के लिए कई प्रकार की छूट दी गई। इसके बावजूद भी जारी होने वाले पट्टों की संख्या बेहद कम रही। इतना ही नहीं जहां पर कॉलोनियां कट गईं, लेकिन विकसित नहीं हो सकी। ऐसे कई आवेदकों को तो पट्टे मिल गए, लेकिन बरसों से मकान बनाकर रह रहे लोगों को अब तक पट्टे नहीं मिल सके हैं। इन विसंगतियों के सामने आने के बाद प्रशासन ने इसको गंभीरता से लिया है। इसका सर्वे कराया गया। इस सर्वे के बाद नगर परिषद में अस्वीकृत कॉलोनी की संख्या का आंकडा खासा बढेगा।
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