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क्या हुआ ऐसा कि कॉलेज में पढऩे का सपना नहीं हुआ पूरा

कम सीटों ने तोड़ा कॉलेज पढऩे का सपना प्रथम वर्ष कला, विज्ञान संकाय में सीटे बढ़ाने की दरकार, राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में नहीं बढ़ रही सीटें

ब्यावरJul 13, 2019 / 08:05 pm

sunil jain

कम सीटों ने तोड़ा कॉलेज पढऩे का सपना


ब्यावर. सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय में हर साल प्रवेश में प्रथम वर्ष की सीटों के अनुपात में आवेदनों की संख्या अधिक रहती है। इसके चलते हर साल सैकड़ों अभ्यर्थियों का महाविद्यालय में पढऩे का सपना अधूरा रह जाता है। इस साल भी 444 विद्यार्थियों का कॉलेज पढऩे का सपना टूट गया। जबकि जैतारण, भीम सहित आस-पास के क्षेत्रों में महाविद्यालय खुल गए। इसके बावजूद प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक रहती है। सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय में प्रथम वर्ष मेें प्रवेश लेने वाले कई विद्यार्थियों को हर साल प्रवेश नहीं मिल पाता है। सीटे कम होने के कारण वरियता सूची में नहीं आ पाते है। यहां पर लम्बे समय से प्रथम वर्ष में सीटे बढ़ाने की मांग चल रही है। राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में प्रथम वर्ष में न तो सीटे बढ़ पा रही है। न ही नए पाठयक्रम शुरु हो पा रहे है। महाविद्यालय में कला संकाय में 26 0 विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल सका। ऐसे में अब उन्हेंं कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलने से दूसरा विकल्प तलाशना होगा। इसी प्रकार प्रथम वर्ष गणित में 124 विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल सका। इसी प्रकार प्रथम वष विज्ञान संकाय में साठ अभ्यर्थी प्रवेश से वंचित रह गए। जबकि यहां पर हर साल प्रवेश लेने वाले आवेदकों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में सीटों में बढ़ोतरी की जाने की आवश्यकता है।
पर्याप्त जगह है लेकिन उपयोग नहीं…
सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय के पास पर्याप्त जमीन है। जहां पर नए भवन का निर्माण कराया जा सकता है। इसी प्रकार नए संकाय खोलने पर भवन की भी व्यवस्था है। ऐसे में नए संकाय खोले जाने पर यहां पर संचालित किए जा सकते है। पर्याप्त सुविधाएं होने के बावजूद राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में सीटें नहीं बढ़ पा रही है।
इनका कहना है…
महाविद्यालय में करीब चार सौ विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल सका है। महाविद्यालय में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक रहती है। यहां पर सीटों में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
-प्रो. जलालुद्दीन काठात, नोडल अधिकारी, स्नातक प्रवेश समिति
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