अभी वर्तमान में रोजाना 70 से 80 मरीज सोनोग्राफी के लिए आते हैं, लेकिन यहां पर अभी रोजाना 40 से 50 सोनोग्राफी ही हो पाती है। यही वजह है कि वर्तमान में बाद की तिथि दी जा रही है। गौरतलब है कि चार जिलों से सटे अमृतकौर चिकित्सालय में दूर दराज से भी मरीज आते है।
छह माह से एेसे हालात अस्पताल में करीब छह माह से एेसे ही हालात चल रहे हैं। मार्च माह की शुरुआत में दो रेडियोलॉजिस्ट थे, लेकिन डॉ. राजकुमार सैन का स्थानान्तरण हो गया। इसके बाद कोई नियुक्ति नहीं हुई। दो रेडियोलॉजिस्ट थे तो ज्यादा से ज्यादा एक दिन के अन्तराल पर सोनोग्राफी हो जाती थी, लेकिन तबादले के बाद पटरी से उतरी व्यवस्थाएं सुधर नही पा रही हैं।
निजी संस्थान से जांच मजबूरी अधिकतर मरीजों को सरकारी चिकित्सक सोनोग्राफी जांच लिख देते हैं। एेसे में जो जरूरी होते है उनकी तो उसी दिन या कुछ दिनों के अन्तराल में सोनोग्राफी हो जाती है। अधिकतर को एक माह बाद का समय दे दिया जाता है। एेसे में बाहर निजी से जांच कराना मजबूरी हो जाता है। नि:शुल्क सुविधा होने के बावजूद भी पैसे खर्च करने पड़ते है।
इस संबंध में अमृतकौर चिकित्सालय के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. साबिर हुसैन ने बताया कि मरीज की स्थिति देखकर सोनोग्राफी के लिए तारीख दी जाती है। सामान्य मरीजों को एक माह बाद की तारीख दी जा रही है। इमरजेंसी होने पर तुरन्त, एक या दो दिन, या फिर सात दिन का समय भी दिया जा रहा है। एक रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है। एेसे में परेशानी हो रही है।