scriptअंटी में दाम फिर भी अटका काम | no crisis of money, still work pending | Patrika News

अंटी में दाम फिर भी अटका काम

locationब्यावरPublished: Nov 24, 2018 04:28:48 pm

Submitted by:

tarun kashyap

: गौरव पथ निर्माण के लिए स्वीकृत हुए थे ढाई करोड, गौरव पथ की जद में आए पेड़, वापस लगाए पौधे भी सूखे, नहीं हो रही देखरेख, जबकि अब भी बची स्वीकृत में से राशि

गौरव पथ निर्माण के लिए स्वीकृत हुए थे ढाई करोड

गौरव पथ निर्माण के लिए स्वीकृत हुए थे ढाई करोड

ब्यावर. करीब दो साल पहले शुरु किया गया गौरव पथ का काम अब भी अधूरा पड़ा है। विद्युत पोल शििटंग के चलते यह काम लबा खींचता चला गया। गौरव पथ करीब एक किलोमीटर बनाया जाना था। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने करीब आठ सौ मीटर ही इसका निर्माण कराया। गौरव पथ का टेंडर भी अनुमानित दर से कम पर दिया गया। ऐसे में स्वीकृत बजट से राशि शेष बच गई। बताया जा रहा हैकि इस राशि से करीब एक सौ से दौ सौ मीटर सड़क का और निर्माण हो सकता है। आचार संहिता लग जाने से इस संबंध में विभाग की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इस संबंध में उच्चाधिकारियों से दिशा-निर्देश मांगे है। अजमेर रोड बाइपास से लेकर पुरानी चुंकी चौकी तक गौरव पथ निर्माण की स्वीकृति हुई। इस निर्माण का काम करीब दो साल से चल रहा हैलेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। गौरव पथ निर्माण के लिए ढाई करोड की वितीय स्वीकृति हुई। यह टेंडर अनुमानित दर से कम में हो गया। इसमें कुछ राशि तो पोल शििटंग के लिए विद्युत निगम को जमा करवाई गई। इसके अलावा शेष बची राशि का अब तक उपयोग नहीं हो सका है। इस राशि को लेकर अब सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों से दिशा-निर्देश मांगे है।
बन सकते है हादसे का कारण…
नसीराबाद से ब्यावर आ रही बीसलपुर की सात सौ एमएम की पाइप लाइन अजमेर रोड बाइपास से कुछ ही आगे वाटर स्टोरेंज टैंक से जुड़ती है। दौलतगढ़ सिंघा पिपंग स्टेशन के सामने पाइप को घुमाने के लिए वाल्व लगाया गया है। यह वॉल्व गौरव पथ की जद में आ गया। इस वॉल्व को शिट नहीं किया गया। यह किसी दिन हादसे का कारण बन सकते है।ेे
सूा गए पौधे, नहीं ले रहे सुध…
गौरव पथ के मध्य पौधे लगा दिए गए। यह पौधे कुछ समय बाद ही सुख गए। इसके बाद वापस इसकी सुध नहीं ली है। न ही इन डिवाइडर में लगे पौधे को समय पर पानी पिलाने की तक व्यवस्था नहीं हो सकी है। जबकि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी भी इससे अनजान बने है।
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