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अपने ही बनाए नियम के आगे ‘बेबस’ हुई राजस्थान सरकार, जानें क्या है पूरा मामला

Social Security Scheme Of Rajasthan Government : ब्यावर. सामाजिक सुरक्षा के नाम आर्थिक सहायता से जुड़ी योजनाओं की ऑनलाइन व्यवस्थाओं के आगे पेंशनधारी तो बेबस है ही, वहीं विभाग भी कुछ नहीं कर पा रहे। सत्यापन और जीवित प्रमाण-पत्र की पेचीदगियों ने योग्य लोगों को भी पेंशन से वंचित कर दिया है।

ब्यावरApr 04, 2024 / 05:53 pm

जमील खान

Rajasthan News : अपने ही बनाए नियम के आगे ‘बेबस’ हुई राजस्थान सरकार, जानें क्या है पूरा मामला

नितिन कुमार शर्मा
Social Security Scheme Of Rajasthan Government : ब्यावर. सामाजिक सुरक्षा के नाम आर्थिक सहायता से जुड़ी योजनाओं की ऑनलाइन व्यवस्थाओं के आगे पेंशनधारी तो बेबस है ही, वहीं विभाग भी कुछ नहीं कर पा रहे। सत्यापन और जीवित प्रमाण-पत्र की पेचीदगियों ने योग्य लोगों को भी पेंशन से वंचित कर दिया है। जहां एक ओर गांवों में संसाधनों का अभाव होने से नियमों की पालना किसी संघर्ष से कम नहीं है। वहीं ब्यावर शहर के दिव्यांग और बुजुर्ग भी सहायता मिलने से पहले पीड़ा झेलने को मजबूर है। ऐसे हालातों में सरकार ने जिस उद्देश्य से योजनाएं और आर्थिक सहायता शुरू की, वे धरातल से कोसों दूर है।

एक-एक साल से रुकी पेंशन, नहीं मिला जवाब
पेंशन योजनाओं से जुड़कर आवेदकों को कई वर्षों तक फायदा मिला। लेकिन भौतिक सत्यापन में हुई गलतियों के कारण कई लोगों की पेंशन रुक गई। विभाग के लगातार चक्कर लगाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा। भारी-भरकम नियमों में जरा सी चूक बुजुर्गों की पेंशन बंद कर रही है। वहीं गलतियां भी ऐसी है कि उनका समाधान स्थानीय विभाग भी नहीं कर पा रहे। ऐसे में दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए शुरू हुई योजनाएं राहत पहुंचाने के बजाय आहत कर रही है।

सत्यापन संबंधी संसाधनों का अभाव
सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के तहत राज्य व केंद्र सरकार की कई योजनाओं के तहत लोगों को पेंशन दी जा रही है। लेकिन पेंशन सत्यापन संबंधी सुविधाओं का अभाव है। पंचायत समिति मुख्यालय पर पेंशन सत्यापन के लिए फिंगर प्रिंट, आई स्केनर जैसी सुविधाएं मिलें से सैंकड़ों पेंशनधारियों को सत्यापन में राहत मिलेगी।

केस -1 : दिव्यांग को बताया आउट ऑफ स्टेट
नृसिंहपुरा ब्यावर निवासी दिव्यांग गुडिय़ा का पेंशन आवेदन नगर परिषद और उपखंड कार्यालय से सत्यापित नहीं होने के कारण पेंशन नहीं मिल रही। परिजन का कहना है कि कई बार च क्कर लगाने के बावजूद सुनवाई नहीं हुई। जन सूचना पोर्टल पर शिकायत का स्टेट्स देखा तो बताया गया कि गुडिय़ा राजस्थान की रहने वाली नहीं है, इसलिए पेंशन रोक दी गई है। जबकि अप्रेल 2022 तक इसके खाते में पेंशन आ रही थी।

केस -2 : थम गई सांसें, नहीं आई पेंशन
ग्राम पंचायत बाघमाल की 79 वर्षीय बुजुर्ग महिला मीरादेवी को वर्ष 2022 तक पेंशन सुविधा का लाभ मिला। इसके बाद फिंगर प्रिंट नहीं आने के कारण सत्यापन नहीं हो सका। सत्यापन के दो दिन बाद ही 27 फरवरी को इस वृद्धा की मृत्यु हो गई। जबकि बीते एक वर्ष से अधिक समय से महिला को पेंशन का लाभ नहीं मिला।

केस -3 : पीपीओ नंबर गलत, रुकी पेंशन
नरबदखेड़ा निवासी रुकमा देवी का आधार कार्ड पेंशन पोर्टल पर पीपीओ नंबर गलत दर्ज हो गया। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद भी ये गलती कैसे हुई, इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा। लेकिन इसका खामियाजा बुजुर्ग महिला को भुगतना पड़ रहा है। दिसम्बर 2022 से अब तक पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा। महिला ने प्रतापगढ़ जाकर त्रुटि को सुधारने का प्रयास किया। लेकिन पेंशन शुरू नहीं हो सकी।

केस -4 : एक वर्ष तक दूसरे को मिली पेंशन
ग्राम पंचायत सुरडिय़ा के ग्राम जेतगढ़ बामणिया निवासी कला देवी की पेंशन 12 महीने से किसी ओर के खाते में जमा हो रही है। पेंशन पोर्टल पर गलत डाटा फीड हो जाने से ऐसा हुआ। दिसम्बर 2022 से महिला पेंशन लाभ वंचित है। बीमार होने के बावजूद वह पेंशन सत्यापन के लिए विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर है। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही।

इनका कहना है
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के सैकड़ों मामले लंबित है। लगातार मांग के बावजूद कई लोग पेंशन से वंचित है। पेंशन के इंतजार में कई लोगों की मृत्यु हो गई, लेकिन मामलों का निस्तारण नहीं हो सका। डाटा फीडिंग में गलतियों का खामियाजा पीडि़त भुगत रहे हैं। प्रति सप्ताह कैंप लगाकर पीडि़तों को राहत प्रदान की जानी चाहिए। प्रसन्नजीत, सामाजिक कार्यकर्ता, जवाजा पेंशन को लेकर अगर कोई लंबित प्रकरण है तो पूरे कागज के साथ सम्पर्क करें। जल्द ही मामले निस्तारण करके पेंशन शुरु करने का प्रयास करेंगे। गौरव बुढानिया, उपखंड अधिकारी, ब्यावर

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