आश्रय स्थल के ऐसे मिले हालात
पत्रिका टीम ने जब बिजयनगर रोडआश्रय स्थल का जायजा लिया तो वहां पर काबरा निवासी मदनलाल नाम का कर्मचारी मिला।उसने बताया कि आने वाली महिलाओं व पुरुषों का अलग अलग रजिस्टर है और हॉल भी अलग अलग है।रजिस्टरों पर नजर डाली तो अधिकांश नामों का बार बार उल्लेख किया गया।पता चला कि छह महिलाएं आश्रय स्थल को सभालने वालेे के परिजन व जान पहचान वाली है। उनके नाम ही बार बार लिखे गए।एक दिसबर को तीन, दो को तीन, तीन को तीन, चार को चार, पांच को तीन, छह को तीन, सात को चार, आठ को चार, नौ को दो, दस को पांच, ग्यारह को पांच, बारह को पांच महिलाओं का ठहरना दिखाया गया।
पत्रिका टीम ने जब बिजयनगर रोडआश्रय स्थल का जायजा लिया तो वहां पर काबरा निवासी मदनलाल नाम का कर्मचारी मिला।उसने बताया कि आने वाली महिलाओं व पुरुषों का अलग अलग रजिस्टर है और हॉल भी अलग अलग है।रजिस्टरों पर नजर डाली तो अधिकांश नामों का बार बार उल्लेख किया गया।पता चला कि छह महिलाएं आश्रय स्थल को सभालने वालेे के परिजन व जान पहचान वाली है। उनके नाम ही बार बार लिखे गए।एक दिसबर को तीन, दो को तीन, तीन को तीन, चार को चार, पांच को तीन, छह को तीन, सात को चार, आठ को चार, नौ को दो, दस को पांच, ग्यारह को पांच, बारह को पांच महिलाओं का ठहरना दिखाया गया।
बात की तो ये हुआ खुलासा
जब कर्मचरी मदनलाल से बात की तो उसने बताया कि उसकी पत्नी आशा व बच्चियां साथ ही रहती है।इसलिए रसोई बना रखी है।नामों के बारे में पूछे जाने पर उसने बताया कि महिलाएं कभी कभार ही आती है और यहां उनके साथ रहने वाली बच्चियों व उनके परिजन के नाम ही लिखे गए है।उसने बताया कि यहां किसी को मनाही नहीं है।कोई भी अपनी आईडी देकर रूक सकता है। उसने बताया कि चोबीस घंटे खुला रखने के लिए उसकी पत्नी और उसे 11 000 रुपए मासिक दिए जाते है। यहां पर महिला पुरुषों के हॉल में अलग अलग बिस्तर के साथ शौचालय व रसोई की व्यवस्था भी है।उसने भी बताया कि कोई सत्तर साल से ज्यादा की उम्र का नहीं आता और ऐसे में खाना तो नहीं बनाया जाता।
जब कर्मचरी मदनलाल से बात की तो उसने बताया कि उसकी पत्नी आशा व बच्चियां साथ ही रहती है।इसलिए रसोई बना रखी है।नामों के बारे में पूछे जाने पर उसने बताया कि महिलाएं कभी कभार ही आती है और यहां उनके साथ रहने वाली बच्चियों व उनके परिजन के नाम ही लिखे गए है।उसने बताया कि यहां किसी को मनाही नहीं है।कोई भी अपनी आईडी देकर रूक सकता है। उसने बताया कि चोबीस घंटे खुला रखने के लिए उसकी पत्नी और उसे 11 000 रुपए मासिक दिए जाते है। यहां पर महिला पुरुषों के हॉल में अलग अलग बिस्तर के साथ शौचालय व रसोई की व्यवस्था भी है।उसने भी बताया कि कोई सत्तर साल से ज्यादा की उम्र का नहीं आता और ऐसे में खाना तो नहीं बनाया जाता।