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कैश की किल्लत का असर यहाँ पर भी

locationब्यावरPublished: Apr 24, 2018 01:15:50 pm

Submitted by:

tarun kashyap

नोट नहीं मिलने से मण्डी से दूर हो रहे किसान, सिमट गई जिंसो की आवक

कैश की किल्लत का असर यहाँ  पर भी

कैश की किल्लत का असर यहाँ पर भी


ब्यावर. पिछले पांच दिनों से बैंकों में चल रही नोटों की कमी का असर व्यापारियों व किसानों पर साफ देखने को मिल रहा है। नोटों की कमी के चलते उदयपुर रोड स्थित कृषि उपज मण्डी में सन्नाटा पसर गया है। पहले जहां जिंसों (अनाज) के ढेर लगने के साथ ही किसान दिन भर इधर उधर बैठे दिखाई देते थे। वहीं अब किसानों को व्यापारियों से समय पर अपनी उपज की कमाईनहीं मिलने से किसान भी मण्डी से किनारा करने लग गए हैं। इस कारण मण्डी में जिंसे भी ढेरियों में नजर आ रही है। जिंसों की कम आवक के चलते भाव में तेजी आईहै। व्यापारियों के जहन में एक बार फिर नवबर में हुई नोटबंदी की यादें ताजा हो गई।
आवक आधी से भी आधी…
मण्डी में जिंसो के व्यापारी राजेश कुमार लाटा ने बताया कि गत सप्ताह की बात करें तो यहां पहले जीरे की बपर आवक हो रही थी। प्रतिदिन एक हजार से अधिक बोरियां व्यापारियों के यहां उतर रही थी। लेकिन गत पांच दिनों से अब जीरे की आवक सिमटकर डेढ़ दो सौ बोरी रह गई है। इस कारण भावों में भी उतार चढ़ाव लगातार चल रहा है। पहले जहां जीरे का भाव साढ़े १४ हजार से १५ हजार था। वहीं अब यह भाव १६ हजार तक पहुंच गया है।
इसबघोल की आवक भी कम…
व्यापारियों का कहना हैकि इसबघोल में भी यही असर दिख रहा है। यहां इसबघोल की ढेरियां लगनी शुरूहो गई है। पांच सौ से एक दम डेढ़ सौ बोरी पर मामला अटक गया। भाव भी साढ़े छह हजार से पौने सात हजार के बीच चल रहा है।
शादी के सीजन के कारण बढ़ी डिमांड…
व्यापारी लाटा ने बताया कि शादी का सीजन चलने के कारण किसान जिंसे लाने के साथ ही तुरन्त नकद भुगतान की मांग कर रहे हैं। वहीं किसान रामेश्वर ने बताया कि यदि शादी में ही पैसे काम नहीं आए तो बाद में वह इसका क्या करेंगे। इसी कारण वह ऐसे व्यापारी या मण्डी जा रहे हैं जहां पर उन्हें हाथों हाथ बिक्री के साथ ही नकद भुगतान किया जा रहा है।
याद आईनोटबंदी…
मण्डी के व्यापारियों ने बताया कि गत वर्षनोटबंदी के समय भी किसान जिंसे लेकर नहीं आ रहे थे। किसानों को नकद राशि की पर्चियां दी जा रही थी लेकिन किसान नकदी की मांग कर रहे थे। आज भी यही स्थिति है। बैंक से दो हजार के नोट निकल रहे हैं। किसानों को खुल्ले कहां से दे। इसी कारण मण्डी में अभी अनाज कम आ रहा है।

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