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अस्पताल में नहीं दवाएं

locationब्यावरPublished: May 05, 2018 04:49:55 pm

Submitted by:

tarun kashyap

केन्द्रीय डीडीसी स्टोर हुआ खाली, तकरीबन एक माह से दवाओं को लेकर मरीज हो रहे परेशान

अस्पताल में नहीं दवाएं

अस्पताल में नहीं दवाएं



ब्यावर. राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में तकरीबन एक माह से मरीजों को दवाइयों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन मरीजों की जान बचाने के काम आने वाली दवाओं के प्रति भी गंभीर नहीं है। अस्पताल के गहन चिकित्सा इकाई सहित अन्य वार्डों में जीवन रक्षक दवाओं का सफाया हो चुका है। दवाओं को रखने के लिए मंगवाई गई अलमारियां खाली पड़ी है। हालात ऐसे बन गए हैं कि ह्रदयघात व श्वास रोगी के आने पर नर्सिंग स्टाफ पहले ही तुरन्त दवाओं की पर्चीमरीज के परिजन को थमा देते हैं। जबकि सरकार ने मुयमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत हर मरीज को अस्पताल में ही दवा मुहैया करवाने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद यहां पर मरीजों से बाजार से दवाइयां मंगवाई जा रही है।
चांदी कूट रहे हैं मेडिकल स्टोर संचालक…
अमृतकौर चिकित्सालय में दवाओं का तकरीबन एक माह से टोटा चल रहा है। नि: शुल्क दवा काउंटर पर भी दवाएं साफ हो चुकी है। वार्ड में आने वाले मरीजों की दवाइयों की लगातार पर्चियां थमाए जाने के कारण मेडिकल स्टोर संचालक एडवांस में दवाइयां मंगवा रहे हैं। मरीजों के परिजन की स्थिति को देखते हुए जीवन रक्षक दवाओं की मनमानी राशि वसूली जा रही है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन अजमेर के केन्द्रीय दवा स्टोर से जीवन रक्षक दवाओं को मंगवाने में गंभीर नहीं है। मरीज परेशान हो रहे हैं.
इन दवाओं का है टोटा…
अमृतकौर चिकित्साल में डोपामीन, पेनटा पैरोजोल इंजेक्शन, डो-ब्यूटामीन इंजेक्शन, ओनडोन सेटरोन, ग्लूकोस आरएल, ह्रदय रोगियों के काम आने वाली दवाओं में आइथोमीन, क्लोरोपिड ग्रिल-एसप्रीन, प्लेन एसप्रीन तक नहीं है। यहां तक की इन दवाओं के सबसिट्यूट अस्पताल में सप्लाई नहीं किए जा रहे हैं। अब तो स्थिति यह हो गई है कि अस्पताल में मरीज के आते ही इंजेक्शन व ग्लूकोस लगाने के लिए लगाया जाने वाला कैनूला तक खत्म हो चुका है।

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