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टूटे पड़े हैं खिलौने, फट गई दरी पट्टियां

locationब्यावरPublished: Jan 22, 2019 07:02:02 pm

Submitted by:

tarun kashyap

दौलतगढ़ सिंघा आंगनबाड़ी केन्द्र का मामला

टूटे पड़े हैं खिलौने, फट गई दरी पट्टियां

टूटे पड़े हैं खिलौने, फट गई दरी पट्टियां

सुनिल जैन
ब्यावर. टूटे पड़े खिलोनों का ताक के ऊपर लगा ढ़ेर, फटी पुरानी दरी पट्टियां, वो भी बच्चों की संख्या के मुताबिक पर्याप्त नहीं। नन्हे मुन्ने बच्चों की तादाद भी अच्छी लेकिन इनके लिए शौचालय के भी पुता इंतजाम नहीं है। पीने के पानी की भी केन्द्र पर कोई व्यवस्था नहीं और संचालकों को अपने स्तर पर पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। फिर भी नाम है आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र। ऐसे ही हाल है महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से शहर में संचालित दौलतगढ़ सिंघा आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र के।
विभाग की ओर से वर्ष २००६ में यहां आंगनबाड़ी केन्द्र खोला गया। इस केन्द्र पर बच्चों की संया को देखते हुए करीब चार साल पहले आदर्श केन्द्र बना दिया गया। यहां बच्चों के लिए खिलौने, साइकिल्स और दरी पट्टिया आदि मुहैया कराई गई। ताकि मनोरंजन के कारण बच्चों का ठहराव अच्छा हो सके। केन्द्र संचालकों ने अपने स्तर पर भामाशाह की मदद से भी साइकिल व खिलौनों का जुगाड़ किया। यहां वर्तमान में २१ बच्चे केन्द्र पर पंजीकृत है और यहां पर कामकाजी महिलाओं के शिशुओं के लिए शिशु पालना गृह भी संचालित है। जहां पर पास ही रीको क्षेत्र होने के कारण करीब बीस से पच्चीस बच्चे रोजाना छोड़े जाते है। ऐसे में बच्चों की संया चालीस से पचास औसतन रहती है। लेकिन वर्तमान में यहां पर खिलौने टूट चुके है, जिन्हे ताक पर रख दिया गया है। साथ साइकिल भी टूट चुकी है। दरी पट्टियां भी फटी पड़ी है। पीने के पानी के लिए भी संचालकों को केन भरकर लानी पड़ती है। केन्द्र पर कोई शौचालय भी नहीं है। पास ही स्कूल है और उनके लिए काम चलाऊ बनाए गए शौचालय का ही उपयोग केन्द्र के बच्चे करते है। केन्द्र कार्यकर्ता के रूप में कृष्णा राठौड़, सहायिका मिन्टू देवी व आशा सहयोगीनी शारदा देवी सेवाएं दे रही है। चार साल पहले जब केन्द्र को आदर्श बनाया गया, तब खिलौने व साइकि ल दी गई। उसके बाद विभाग ने कोई सुध नहीं ली।
दो पालने और एक टूट गया
यहां पर शिशु पालना गृह भी संचालित है। कामकाजी महिलाओं के काम पर जाने के समय बच्चों को सार सभाल के लिए यहां छोड़ दिया जाता है।शाम को काम से लौटने पर बच्चे यहां से ले जाते है। पास ही औद्योगिक क्षेत्र है और यहां पर करीब बीस से पच्चीस बच्चे रोजाना छोड़े जाते है। इसके लिए कर्मचरी भी पूजा को लगाया गया है। यहां इन बच्चों के लिए दो पालने दिए गए थे।जिसमेें से भी एक टूटचुका है। गौरतलब है कि ब्यावर में दौलतगढ़ सिंघा व इन्द्रा नगर में दो शिशु पालना गृह संचालित है।

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