उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती हैं और बिना गांवों का उद्धार किए भारत का विकास नहीं हो सकता। इसीलिए प्रधानमंत्री की विकास योजनाओं में शुरुआत से ही गांव, किसानों और पशुपालकों का अहम स्थान रहा है, जिसके सुखद परिणाम आज कई जगह देखने को मिल रहे हैं। विकास के इसी सिलसिले को कोरोना संकट से बचाए रखने के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर वित्त मंत्रालय ने हमारे किसानों, मत्स्यपालकों, डेयरी उद्योग में लगे लोगों के लिए, मधुमक्खी पालकों के लिए जो हजारों करोड़ का विशेष पैकेज दिया है, इसके बहुत से दूरगामी फायदे होंगे। आज के पैकेज से जहाँ किसान इस बारे में आश्वस्त हो सकेंगे कि उन्हें अपने उत्पादों की कितनी कीमत मिलेगी, वहीं मत्स्य उद्योग में हम विश्व में नंबर 1 स्थान पर काबिज हो जाएंगे. इसके अलावा फसलों के ट्रांसपोर्टेशन और भंडारण में दी गयी 50% सब्सिडी किसानों की लागत को घटाने के साथ-साथ उन्हें एक सुरक्षित भविष्य के लिए आश्वस्त भी करेगी.”
डॉ जायसवाल ने कहा कि आज के पैकेज में माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) के फॉर्मलाइजेशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाने का ऐलान किया गया है, जिसके तहत देश के अलग-अलग हिस्सों के उत्पादों को ब्रांड बनाया जाएगा। इसमें बिहार का मखाना भी शामिल है। सरकार की यह अकेली घोषणा ही बिहार के मखाना उत्पादन और इसके व्यवसाय से जुड़े लाखों लोगों की किस्मत बदलने वाली है। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब बिहार के मखाना उत्पादकों को इतनी तरजीह दी गई है। पूरे देश में लगभग 2 लाख खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त कृषि आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने की भी घोषणा की गई है, जिससे बिहार के कृषि उत्पादक संघों और कृषि आधारित अन्य उद्योगों को काफी सहायता मिलेगी।