scriptबेगूसराय में कन्हैया की राहें आसान नहीं,करना पड़ सकता है इन समस्याओं का सामना… | kanhaiya will fight election from begusarai but it is not easy | Patrika News

बेगूसराय में कन्हैया की राहें आसान नहीं,करना पड़ सकता है इन समस्याओं का सामना…

locationबेगूसरायPublished: Sep 04, 2018 07:30:35 pm

Submitted by:

Prateek

बेगूसराय बिहार के उन सवर्ण बहुल इलाकों में अहम् है जहां सवर्णों में सबसे आक्रामक कही जाने वाली जाति भूमिहार वर्ग का वर्चस्व है…

kanhaiya kumar

kanhaiya kumar

(पत्रिका ब्यूरो,पटना): पूरब के लेनिनग्राद कहलाने वाले बेगूसराय में जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर वाम दलों और महागठबंधन के उम्मीदवार के बतौर बेशक चुनाव मैदान में उतर लें पर उनकी राहें आसान नहीं जान पड़तीं। कन्हैया कुमार बेगूसराय के बीहट गांव के रहने वाले हैं।


बेगूसराय बिहार के उन सवर्ण बहुल इलाकों में अहम् है जहां सवर्णों में सबसे आक्रामक कही जाने वाली जाति भूमिहार वर्ग का वर्चस्व है। कन्हैया कुमार का गांव बीहट तेघड़ा विधान सभा का हिस्सा है जहां साठ के दशक से 2010 तक भाकपा का प्रभाव कायम रहा। इस क्षेत्र में भाकपा ने कई बार अपनी जीत दर्ज़ की है।


बेगूसराय में भूमिहार जाति बहुसंख्यक है। इसके बाद कोईरी कुर्मी और ईबीसी जातियां असर दिखाती रही हैं। साठ के दशक में जमींदार भूमिहार किसानों के खिलाफ गरीब भूमिहार आंदोलनकारियों ने ही भूमि आंदोलन खड़े किए और देखते ही देखते यह क्षेत्र हिंसक आंदोलनों की भेंट चढ़ गया। इलाके में कांग्रेस की भी पैठ आठवें दशक में हुई जब राजो सिंह यहां से जीतकर आए।

 

2014 के संसदीय चुनावों में यहां से भाजपा के भोला सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को 52 हजार मतों से पराजित किया और भाकपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर चला गया। समय की रफ्तार ने करवटें बदलीं तो अब सवर्ण भूमिहार तबका भाजपा का बड़ा समर्थक बन गया है। पिछड़ी जातियों में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आकर्षण चुनावों का गणित बदलने के लिए नाकाफी नहीं है। ऐसे में मुसलमानों और यादवों के साथ कैडर वोटों के सहारे कन्हैया कुमार का पार लग पाना महज़ सरल खेल नहीं रह जाएगा।

ट्रेंडिंग वीडियो