बेमेतरा . महज 21 वर्ष याने सबसे कम उम्र की जिला पंचायत सदस्य बनने वाली चंचल वर्मा राजनीति में आने से पहले जिले की होनहार छात्रा के तौर पर अपनी पहचान रखती थीं। लेकिन जिला पंचायत सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश करने के बाद अब चंचल की पहचान बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने वाली जनप्रतिनिधि के तौर पर होने लगी है। जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर साजा ब्लॉक के ग्राम मुंगाटोला की रहने वाली चंचल का माता गोदावरी देवी के आकस्मिक निधन के बाद राजनीति में प्रवेश हुआ। चंचल अपने क्षेत्र के सभी 98 गांव के विकास के लिए बीते 13 महीने से सक्रिय हैं।
कर रही थीं रायपुर में पीएससी की तैयारीजिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 10 से सदस्य बनकर गणतंत्र को मजबूत करने वाली चंचल का राजनीति में प्रवेश महज संयोग ही कहा जाएगा। चंचल बताती हैं की वह रायपुर में एमएससी की पढ़ाई के साथ पीएससी के लिए तैयारी कर रही थी। जिला पंचायत सदस्य माता गोदावरी के आकस्मिक निधन के बाद घर पर शोक का माहौल था, तब माता के रिक्त पद पर पिता संतोष वर्मा की प्रेरणा से चुनाव लडऩे का निर्णय लिया और ग्रामीणों ने उन्हें जीत दिलाकर निर्णय का समर्थन किया।
राजनीति जनसेवा का सबसे सशक्त जरियापत्रिका से चर्चा करते हुए जिला पंचायत की सबसे कम उम्र की सदस्य चंचल वर्मा ने बताया की राजनीति को वह जनसेवा का सबसे सशक्त जरिया मानती हैं। माता-पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया है, और क्षेत्र के लोगों ने उन्हें सेवा करने का अवसर दिया है। आज वह इसका सदुपयोग क्षेत्र में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने में कर रही हैं। जानने वाले लोग बताते हैं कि चंचल राजनीति में शामिल लोगों से काफी अलग है। चंचल केवल अपनी मां द्वारा रिक्त किया गया स्थान ही नहीं भर रही हैं, बल्कि गांव की लड़कियों को शिक्षा की नई रोशनी दिखा गणतंत्र को मजबूत कर रही हैं।