घटना के दूसरे दिन पहुंचे एसडीएम ने स्कूल में भर रहे पानी की निकासी की व्यवस्था की, मरम्मत में आए राशि का हिसाब जाना, घटना के बाद सीएसी की गैरजिम्मेदाराना रवैया का अध्ययन किया। बीईओ द्वारा कार्यालय तक सीमित रहने, घटना के बाद मौके तक नहीं पहुंचने को लापरवाही माना। एसडीएम के इस प्रतिवेदन को पढ़कर नाराज कलेक्टर ने कहा कि यह घटना माफ नहीं साफ करने लायक है और इस पर अमल भी शुरू हो गया। अब तक कि स्थिति में प्रधान पाठक, नंदकुमार वैष्णव, शिक्षक ओमप्रकाश रंगा को निलंबित किया गया है, सीएसी की रिपोर्ट दुर्ग भेजी गई है। बीईओ को नवागढ़ से हटाकर बेमेतरा डीईओ कार्यालय में संलग्न किया गया है।
आप नेता अंजोरदास घृतलहरे ने कलेक्टर को पत्र लिखकर जिले में मरम्मत की जांच वित्तीय वर्ष 2015 से कराने की मांग की है। घृतलहरे ने कहा कि ओमप्रकाश रंगा के निलंबन में इस बात का उल्लेख है कि बिना तकनीकी सलाह की राशि खर्च की गई राशि किस तकनीकी सलाह पर जारी की गई यह भी बताया जाए। डीईओ के समक्ष डिमांड नोट प्रस्तुत करने वाले क्लर्क ने क्या आधार मानकर राशि देने की जानकारी प्रस्तुत की। मरम्मत के लिए राशि उन स्कूलों को तो नहीं दे दी गई जो कुछ वर्ष पूर्व ही बने थे। 50 हजार से अस्सी हजार तक कि राशि देने के पीछे कारण क्या थे।
डीईओ कार्यालय में पहले आओ पहले पाओ के तहत राशि का बंदरबांट किया गया, टीचरों से पूछताछ हो तो कई नाम उजागर होंगे। अंजोरदास ने कहा कि बीईओ को हटाया गया, एबीईओ पर मेहरबानी समझ से परे है। नवागढ़ ब्लाक में इस शिक्षा सत्र में स्कूलों का निरीक्षण व नोटिस का रिकॉर्ड जिसने बनाया उसने स्कूलों की दुर्दशा पर क्या किया। आकोली में छात्र की मौत बिच्छू काटने से होने के बाद रनबोड़ घटना के तत्काल बाद उस अधिकारी से भी पूछताछ होना था, जो फील्ड तक गए। बीईओ अकेले तीन सौ स्कूलों का रिपोर्ट कैसे बना देते, मातहत लोगों ने क्या किया। ग्राम पंचायतों ने स्कूलों को क्वारण्टाइन सेंटर बनाया था, तब जपं सीईओ ने इसे किस तकनीकी सलाहकार के सलाह पर रहने योग्य माना, जांच पारदर्शी होना चाहिए।