पूर्व जनपद सदस्य संजय तिवारी ने बताया कि सरकार ने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर लगाम कसने के लिए जो व्यवस्था बनाई है, वह सराहनीय है, लेकिन इसका क्रियान्वयन ठीक ढंग से नहीं किए जाने और टेबलेट एक्सपर्ट के सतत् मॉनिटरिंग नहीं किए जाने और अनुशासन तोडऩे वाले शिक्षकों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से टेबलेट एक खिलौना बनते जा रहा है। निश्चित ही शिक्षक अनुशासित होंगे तो विद्यार्थी स्वयं ही अनुशासित हो जाएंगे और शिक्षा गुणवत्ता निश्चित रूप से आएगी।
जांता संकुल समन्वयक मालिकराम साहू ने बताया कि इस संकुल में 11 प्राथमिक, 5 मिडिल व 2 हाईस्कूल हैं, इन सभी स्कूलों को टेबलेट दिया गया है। ज्यादातर स्कूलों में सिग्नल नहीं मिलने व नेटवर्क नहीं होने के कारण अपलोड नहीं होने की समस्या है, इसलिए ऑफ लाइन थंब लगाया जाता है। परंतु आज तक राज्य शासन, जिला व ब्लॉक स्तर पर ऑनलाइन डेटा प्राप्त होने के बावजूद अनुशासन तोडऩे वाले शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कई स्कूलों में टेबलेट बांटे जाने के बाद से व्यवस्था में सुधार भी आया है। बटार संकुल समन्वयक सोनलाल चंद्राकर ने बताया कि टेबलेट बांटने के बाद शिक्षकों की उपस्थिति नियमित व समय पर होने लगी है। केवल उन्हीं शालाओं में पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जो शिक्षक विहीन व एक शिक्षकीय हैं। बटार संकुल में 2 प्राथमिक शालाएं कुरदा, नेवासपुर व हेमाबंद मिडिल स्कूल शिक्षक विहीन है। वहीं प्राथमिक शाला देवगांव, नवरंगपुर व भैंसबोर्ड आज भी एक शिक्षकीय है।
जिला प्रोग्रामर (सर्व शिक्षा अभियान) नेहिल वर्मा ने बताया कि जिले के बेरला, नवागढ़ व साजा ब्लॉक में टेबलेट का सही उपयोग हो रहा है। केबल बेमेतरा ब्लॉक में ही टेबलेट को सही ढंग से ऑपरेट नहीं किया जा रहा है, और न ही समय पर डाटा अपलोड किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों तक नेटवर्क वाले मोबाइल कंपनियों के सिम दिए गए हैं, फिर भी नेटवर्क नहीं होने, अपलोड नहीं होने की शिकायत मिल रही है।