बेमेतराPublished: Jan 31, 2023 03:01:02 pm
CG Desk
CG News: विपत्ति असल में विपत्ति नहीं है और सम्पत्ति भी असल में सम्पत्ति नहीं है। भगवान का विस्मरण अर्थात उनको भूलना ही विपत्ति और उसका स्मरण ही सम्पत्ति है। हमारे ऊपर विपत्ति तभी आती है, जब हम भगवान को भूल जाते हैं। उक्त बातें जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के पांचवे दिन के प्रवचन में कही।
CG News: जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने कुन्ती का उदाहरण देते हुए कहा कि महाभारत के युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण से कुन्ती ने वरदान में विपत्ति ही मांगा। उसने कहा कि यदि विपत्ति या दु:ख रहेगा तभी हमें आपका स्मरण और सान्निध्य मिलेगा। इसलिए आपसे हम सुख-सम्पत्ति नहीं विपत्ति मांग रहे हैं। आगे कहा कि सायंकाल के समय भगवान शिव अपने गणों के साथ अपनी सूर्य, चन्द्र और अग्नि रूपी तीनों नेत्रों को खोलकर भ्रमण पर निकलते हैं। उस समय यदि कोई सत्कर्म करता हुआ दिखे तो उसे उनका आशीर्वाद मिलता है और जो निषिद्ध कर्म करता है उसकी दुर्गति होती है। इसलिए कहा जाता है कि सायंकाल के समय हमें निषिद्ध कर्मों से बचना चाहिए।