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नया सड़क घोषित होने से पुराने बायपास के मुआवजा के लिए दो साल से भटक रहे भूमि मालिकों की चिंता बढ़ी

locationबेमेतराPublished: Sep 17, 2018 01:04:00 am

बेमेतरा शहर के लिए 16 किमी का नया बायपास सड़क घोषित, पुराने बायपास के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया दो साल से अटकी

Bemetara Patrika

नया सड़क घोषित होने से पुराने बायपास के मुआवजा के लिए दो साल से भटक रहे भूमि मालिकों की चिंता बढ़ी

बेमेतरा. नेशनल हाइवे पर शहरी क्षेत्र के लिए पूर्व घोषित बायपास प्रोजेक्ट फेल होने के बाद करोड़़ों के मुआवजे को लेकर संशय बरकरार हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी पुुराने बायपास प्रकरणों के निपटारे को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। 10 सितंबर को केंद्रीय परिवहन सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शहर के लिए नए बायपास की घोषणा की है। इसके बाद पुराने प्रस्ताव को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं।

2014 -15 से शुरू हुई थी भूमि अधिग्रहण की प्रकिया
बताना होगा कि जिला मुख्यालय के अंदर से गुजरे नेशनल हाइवे के कारण शहर में यातायात का दबाव बढ़ चुका है। यातायात दबाव को कम करने धोशिम बायपास के लिए 2014 -15 से भूमि के अधिग्रहण की प्रकिया शुरू कर दी गई थी। लगभग 3 वर्ष से अधिक समय से प्रकिया जारी है। इस दौरान तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी एवं भू-अर्जन अधिकारी जीवन सिंह राजपूत ने अधिग्रहित भूमि के एवज में करोड़ों की मुआवजा राशि का भुगतान एक राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3 जी के तहत राजमार्ग 12 अ में बेमेतरा क्षेत्र में आने वाली भूमि के अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन किया गया। इसके कुछ जमीन मालिकों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया था। करोड़ों के भुगतान होने व लगभग डेढ़ अरब की राशि के भारीभरकम मुआवजा देखकर प्रकिया पर प्रश्न उठने लगे थे। इसके बाद पीएम कार्यालय में शिकायत के बाद मुआवजा वितरण पर दो साल पहले ही रोक लगा दी गई है।
पूर्व की योजना के अनुसार डेढ़ साल पहले बन जानी थी बायपास सड़क
राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में कवर्धा से सिमगा सेक्शन पैकेज-2 के तहत 71 किलोमीटर सड़क का निर्माण करने की स्वीकृति राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के चौथे चरण के तहत मिली है। जिसमें दो लेन मार्ग व पेव्हड शोल्डर में चौड़ीकरण व उन्नयन का कार्य करोड़ों रुपए की लागत से बीते 9 दिसंबर 2014 को प्रशासनिक स्वीकृति जारी किया गया। जिसके बाद सड़क का निर्माण मार्च 2015 से कार्य शुरू कर 3 मार्च 2017 तक पूर्ण किया जाना है। आज से लगभग सालभर पहले से ठेका कंपनी द्वारा ग्राम गर्रा में लगाया गया प्लांट हटाया जा चुका है। सडक निर्माण का कार्य लगभग बंद हो चुका है पर बायपास निर्माण के लिए एक ईंट तक नहीं रखी गई है। निर्माण का कार्य बायपास को छोड़कर पूरा किया जा चुका है। बायपास को लेकर जिले में लगभग पांच साल से संशय बरकरार है। जिसके कारण बायपास सड़क को लेकर जिलेवासियों का उत्साह अब फीका पड़ गया है और बायसपास सड़क अब मुसीबत बन गई है। एक ओर जहां मुआवजा नहीं मिलने से भूमि मालिक परेशान हैं और दो साल से विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, वहीं बार-बार बायपास सड़क के नाम पर हो रहे खेल से शहरवासी भी ऊबने लगे हैं।
2004 का प्रस्ताव 2014 में अमल 2018 में अधूरा
बायपास निर्माण की मांग दशकों पुरानी है। अविभाजित दुर्ग जिला प्रशासन ने 2004 में प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया था, जिसके बाद शहर के लिए 4 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए करीब 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। बायपास के लिए एनएच की टीम ने स्थानीय राजस्व अमले के साथ मिलकर प्रस्तावित रूट के लिए सर्वे किया था। 2014 -15 से भू-अधिग्रहण शुरू किया गया, जो अभी अधूरा है।
150 करोड़ देना था मुआवजा, रिवाईज कर अब देंगे 100 करोड़
ऐसे में बायपास के अधिग्राहित जमीन के लिए रिवाइज प्रकरण तैयार कर केन्द्र सरकार को प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद जिला मुख्यालय की जमीन का भू पंजीयन दर में संशोधन करने के बाद पूर्व में प्रभावित जमीनों के लिए करीब 149 करोड़ का मुआवजा दिया जाना था, जो घटकर 100 करोड़ तक पहुंच चुका है। इससे किसानों को नुकसान भी होगा। उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा कम मिलेगा।
नया बायपास घोषित होने से आगे क्या होगा कोई बताने वाला नहीं
16 किलोमीटर लंबाई वाले नए बायपास की घोषणा करने के बाद पूर्व के बायपास की स्थिति को लेकर जिम्मेदार भी कुछ कहने से बच रहे है। नेशनल हाइवे एसडीओ रंजीत घटगे ने बताया कि इस पर उच्च अधिकारियों को ही पता है। हाईलेबल का मामला है, इसलिए हम कुछ नहीं कह सकते। इसके आलावा स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक तौर पर जिले के अधिकारी कुछ बताने से बच रहे हैं। इस संबंध में नेशनल हाइवे के एसडीओ रंजीत घाटगे ने कहा कि उच्च अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं कि पुराने बासपास का क्या होगा हम कुछ नहीं बता सकते हैं।

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